पर्यटकों का इंतजार, होटलों-टैक्सियों में छूट के बावजूद कारोबार ठप क्या है

नैनीताल जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल पर इन दिनों पर्यटकों की भारी कमी देखी जा रही है। अप्रैल-मई जैसे पीक सीजन में जहां आमतौर पर हजारों की संख्या में सैलानी पहाड़ों का रुख करते हैं, इस बार पर्यटकों की संख्या महज 500 से 1000 के बीच सिमटी रह गई है। होटल संचालक, टैक्सी चालक और अन्य पर्यटन कारोबारियों के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक बन चुकी है।
हैरानी की बात यह है कि होटल, गेस्ट हाउस और टैक्सी यूनियनों ने पर्यटकों को लुभाने के लिए किरायों में छूट तक दी है, लेकिन इसका भी खास असर नहीं पड़ा। कई होटल आधी कीमतों पर कमरे उपलब्ध करा रहे हैं, फिर भी पर्यटक नहीं पहुंच रहे। स्थानीय कारोबारियों का कहना है कि कोविड महामारी के बाद यह पहली बार है जब सीजन के समय भी ग्राहकों का इंतजार करना पड़ रहा है।
इस गिरावट की प्रमुख वजहों में बढ़ती गर्मी, राजनीतिक चुनावी माहौल, महंगाई और ट्रैवल से जुड़े भ्रम शामिल हैं। इसके अलावा उत्तराखंड के कई इलाकों में सड़क जाम, अव्यवस्थित ट्रैफिक और पर्यावरणीय चिंता की खबरें भी पर्यटकों को रोक रही हैं।
पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया और ऑनलाइन रिव्यू का दौर है, और जब तक सुविधाएं और सुरक्षा का भरोसा नहीं मिलेगा, तब तक सैलानी पहाड़ों का रुख नहीं करेंगे। इसके साथ ही, कुछ राज्यों में स्कूलों की छुट्टियां अभी शुरू नहीं हुई हैं, जिससे भी पर्यटकों की संख्या कम रही है।
स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग को अब नई रणनीतियों पर विचार करना होगा, ताकि आने वाले जून और जुलाई में हालात सुधर सकें और पर्यटक फिर से नैनीताल जैसे हिल स्टेशनों का रुख करें।