खडंजा उजाड़ डाली पाइप, पानी सप्लाई भी बंद रास्ता भी हुआ ख़राब, बारिश में क्या होगा साहब !
भला हो प्रधान का , बदनामी सरकार की,
विनीत प्रताप श्रीवास्तव-गोंडा : आगामी बारिश को देखते हुए गाँव वालों को टूटा हुआ खडंजा की अब चिंता होने लगी है, जनपद में कमोवेश लगभग सभी ग्राम पंचायतों में खडंजा का यही हाल है जल जीवन मिशन के अंतर्गत पानी की टंकी बनायीं गयी घर -घर नल के लिए पाइप भी बिछाई गयी इस दौरान पाइप बिछाने के लिए कच्चे रास्ता हो या खडंजा उसे भी खोदा गया , पानी सप्लाई तो मिला नहीं बल्कि खडंजा जरुर तहस -नहस हो गया |
सवाल इस बात का है कि पाइप बिछाते समय खडंजा नया हो या पुराना उसे खोदने में जरा सा भी गुरेज नहीं किया गया , अब स्थित ऐसी हो गयी है कि न तो पानी मिल रहा न ही खडंजा | गाँव वालों की दशा ऐसे हो गयी जैसे कि न राम मिल पाए न ही रहीम | लाखों रुपये खडंजा और जल जीवन मिशन के नाम पर खर्च कर लिया गया लेकिन वास्तविक में “आवागमन और प्यास बुझाने को पानी” दोनों नहीं मिला |
खडंजा रिपेयरिंग की बात की जाये तो खडंजा र्रिपेयारिंग का बजट कहाँ चला जाता है? क्यों रिपेयरिंग नहीं कराते ….. गाँव वाले को अब आने वाली बरसात की याद आते ही वो कीचड वो फिसलन वो चिंटू का पैर टूटना भी याद आने लगा है लेकिन सचिव से लेकर बीडीओ तक किसी को कोई चिंता नहीं , इन्हें गाँव के विकास से कोई मतलब नहीं सरकार की जितनी योजनायें हैं उसमे ज्यादा फायदा किस योजना में उठाया जा सकता है उसी काम को कराना है , यूँ कहने में मुझे जरा भी हिचक नहीं कि सरकारी योजनाये इन प्रधान और सचिव कि चौखट तक पहुँचते ही दम तोड़ देती हैं और बदनामी का बोझ सरकार पर लादा जाता है ,
तालाब अभी तक जो सूखे पड़े थे उनका सौंदर्यीकरण के लिए अभी तक काम नहीं कराया गया क्योंकि अभी पूरा काम करना पड़ता , बारिश के दिनों में चूंकि सभी तालाब कमोबेस भर ही जाते है तब मेढ़ बंदी का काम ही हो सकता है अब जितने भी तालाब की आईडी जारी हो तो आप समझ लीजियेगा कि लाखों रुपये सौंदर्यीकरण के नाम पर कहाँ और किसके पास गया ,तालाब का भला तो हुआ नहीं लेकिन सरकारी खजाना से किसका भला हुआ है?
मुजेहना ब्लाक के कुछ ग्राम पंचायतों का हाल तो बहुत ही ख़राब है यहाँ जल निकासी के लिए नालियां बनायीं तो गयी लेकिन आधी -अधूरी , ऊपर प्लेट रखने से पहले ही टूट गयी नाली , जबरन दिखावे के लिए ऊपर प्लेट डाल दी गयी , टूटी और बंद नाली से भला पानी निकासी कैसे हो , लोगों के दरवाजे पर कचरा और गन्दगी जमी रहती है , अगर सफाई कर्मी कि बात कि जाये तो कुछ ग्राम पंचायते ऐसी हैं जहाँ गाँव में कोई जानता ही नहीं सफाई कर्मी को और न ही कभी जाने की हिमाकत ही करते हैं सफाई कर्मी | सूखे और गीले कचरे की ढुलाई के लिए लाखों खर्च करके गाड़ियाँ खरीदी गयी जो आजतक कभी गाँव में गयी ही नहीं , लगभग खड़े – खड़े खड़े ख़राब हो गयी , अब उसके रिपेयरिंग के लिए भी पैसे की निकासी होगी लेकिन वास्तविक क्या है ये प्रधान और सचिव कुंडली मारे चुपचाप पैसे का इतना दुरुपयोग कैसे कर लेते हैं कोई पूछने वाला है ही नहीं कि बिना काम के सफाई कर्मी के वेतन स्लिप पर प्रधान हस्ताक्षर कैसे और क्यूँ करता है अब सफाई कर्मी को वेतन चाहिए लेकिन इसके साथ और किसका भला होता है आप समझ जाईये ” न हींग लगे न फिटकरी माल मिले चोखा” ……………शेष अगले अंक में