लोकसभा चुनाव में 71,000 उम्मीदवारों की जमानत हो चुकी है जब्त ‘नेताजी’ को कितने का लगता है चूना? कहां जाता है ये पैसा
क्या होती है जमानत, कैसे और क्यों जब्त हो जाती है? अब तक कुल कितने उम्मीदवार, लोकसभा चुनाव में अपनी जमानत गंवा बैठे हैं?
लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) का पहला चरण 19 अप्रैल से शुरू होगा. राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुटी हैं और उम्मीदवार अपनी जीत के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं. पर क्या आपको पता है कि पिछले लोकसभा चुनाव में 86% उम्मीदवार ऐसे थे, जिनकी जमानत जब्त हो गई थी
पहले डाटा की बात
आजादी के बाद साल 1951-52 में भारत में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए. तब से लेकर 2019 में हुए आखिरी लोकसभा चुनाव तक 71000 से ज्यादा उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो चुकी है. इलेक्शन कमीशन के डाटा पर नजर डालें तो पता लगता है कि 1951-52 से लेकर 2019 तक के लोकसभा चुनाव में कुल 91,160 कैंडिडेट ने अपनी किस्मत आजमाई, जिसमें से 71,246 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. यानी 78 फीसदी उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पाए.
1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में 1874 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे, जिसमें से 745 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी. यानी करीब 40%. इसके बाद से जमानत जब्त होने वाले उम्मीदवारों का आंकड़ा बढ़ता गया. 1996 में तो 91 फीसदी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. इससे पहले 1991-92 के चुनाव में भी 86% उम्मीदवारों की जमाने जब्त हुई थी
लोकसभा चुनाव जमानत गंवाने वाले उम्मीदवार
2009 85%
2014 84%
2019 86%
2019 में BSP का सबसे बुरा हाल
2019 के लोकसभा चुनाव (2019 Loksabha Election) में महज 14 फीसदी उम्मीदवार अपनी जमानत बचा पाए. 86 फीसदी की जमानत जब्त हुई. जमानत गंवाने वाले उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा बहुजन समाज पार्टी (BSP) के थे. 383 उम्मीदवारों में से 345 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. दूसरे नंबर पर कांग्रेस थी जिसके 421 उम्मीदवारों में से 148 की जमानत जब्त हुई. इसी तरह सीपीआई के 41 उम्मीदवारों के जमानत जब्त हुई थी
क्या होती है जमानत?
लोकसभा चुनाव में हर उम्मीदवार को जमानत के तौर पर चुनाव आयोग के पास एक निश्चित राशि जमा करनी होती है. इस राशि को ‘जमानत राशि’ अथवा सिक्योरिटी डिपॉजिट कहते हैं. चुनाव आचरण नियम, 1961 (The Conduct Of Election Rules,1961) में इसकी व्यवस्था की गई है.
कितना पैसा जमा करना होता है?
लोकसभा चुनाव के लिए सामान्य कैटेगरी के उम्मीदवारों को 25000 रुपये जमानत राशि जमा करनी होती है. जबकि एससी-एसटी कैंडिडेट को 12500 हजार रुपए देने होते हैं. इलेक्शन कमीशन के मुताबिक जमानत राशि जमा करवाने के पीछे मंशा यह है कि चुनाव में गंभीर प्रत्याशी ही उतरें.
कब और क्यों होती है जमानत जब्त?
चुनाव आयोग (Election Commission of India) के मुताबिक यदि किसी उम्मीदवार को चुनाव में कुल वैध वोट (Total Valid Votes) का 1/6 हिस्सा यानी 16.67 फीसदी वोट नहीं मिलता है तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है. इस स्थिति में उस उम्मीदवार ने चुनाव आयोग के पास जो जमानत राशि जमा की है, उसे आयोग जब्त कर लेता. यदि किसी कैंडिडेट को 16.67% से ज्यादा वोट मिलता है तो आयोग उसकी जमानत राशि लौटा देता है.
इसके अलावा कोई उम्मीदवार अपना नामांकन वापस लेता है या उसका नामांकन किसी कारण से रद्द होता है तो इस स्थिति में भी जमानत राशि वापस कर दी जाती है. इसके अलावा जीतने वाल कैंडिडेट की जमानत राशि भी वापस कर दी जाती है