केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, मणिपुर में हिंसा की श्रृंखला की जांच के लिए पिछले वर्ष गठित तीन सदस्यीय जांच आयोग को अब केंद्र द्वारा 20 नवंबर तक का समय दिया गया है।
गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन 3 जून, 2023 को किया गया था। पैनल में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हिमांशु शेखर दास और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आलोक प्रभाकर भी शामिल हैं, जिन्हें 3 मई, 2023 से मणिपुर में विभिन्न समुदायों के सदस्यों को निशाना बनाकर की गई हिंसा और दंगों के कारणों और प्रसार के संबंध में जांच करने का अधिकार दिया गया था।
आयोग को अपनी रिपोर्ट “जितनी जल्दी हो सके, लेकिन अपनी पहली बैठक की तारीख से छह महीने के भीतर” केंद्र सरकार को सौंपनी थी।
ताज़ा अधिसूचना के अनुसार: “आयोग अपनी रिपोर्ट यथाशीघ्र, लेकिन 20 नवंबर, 2024 से पहले केंद्र सरकार को सौंपेगा।”
जांच आयोग के विचारार्थ विषयों के अनुसार, यह उन घटनाओं के अनुक्रम की जांच करेगा जिनके कारण ऐसी हिंसा हुई तथा उससे संबंधित सभी तथ्यों की जांच करेगा; क्या किसी जिम्मेदार अधिकारी/व्यक्ति की ओर से इस संबंध में कोई चूक या कर्तव्य की उपेक्षा हुई तथा हिंसा और दंगों को रोकने और उनसे निपटने के लिए उठाए गए प्रशासनिक उपाय पर्याप्त थे।
आयोग द्वारा की जाने वाली जांच में किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा उसके समक्ष की गई शिकायतों या आरोपों पर गौर किया जाएगा।
गृह मंत्रालय की 4 जून, 2023 की अधिसूचना के अनुसार, 3 मई, 2023 को मणिपुर में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी और हिंसा के परिणामस्वरूप राज्य के कई निवासियों की जान चली गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।