सूत्रों ने हमें बताया कि लोकसभा चुनाव में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में मिली करारी हार के बाद भाजपा संगठनात्मक फेरबदल की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि राज्य भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली है और आज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान पद छोड़ने की पेशकश की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अगले कदम पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री आवास पहुंचे हैं।
पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के प्रमुख भाजपा नेता राष्ट्रीय राजधानी में हैं और पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं। इससे पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी, जिससे बड़े बदलाव की चर्चा तेज हो गई थी।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के साथ संगठन के अहम मुद्दों पर चर्चा की। पता चला है कि भाजपा अपने राज्य प्रमुख के रूप में एक ओबीसी नेता को रखने की इच्छुक है, क्योंकि वह चुनावी झटके से उबरने और 2027 के राज्य चुनावों की तैयारी कर रही है। मौजूदा अध्यक्ष श्री चौधरी जाट समुदाय से हैं। राज्य की आबादी में ओबीसी की अच्छी खासी हिस्सेदारी है और भाजपा समुदाय को लुभाने के प्रयास में किसी ओबीसी नेता का नाम सामने रख सकती है।
वर्तमान राज्य प्रमुख भूपेंद्र चौधरी एक जाट नेता हैं, जिन्हें 2022 में समुदाय के भीतर भाजपा के खिलाफ नाराजगी को शांत करने के लिए यह भूमिका दी गई थी।
यह उन्मादी गतिविधि इस आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा की बड़ी हार के बाद आई है। पार्टी का स्कोर 2019 के 62 से घटकर इस बार 33 रह गया है, क्योंकि मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने बड़ी बढ़त हासिल की है।
उत्तर प्रदेश में पिछले दो विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की है और हैट्रिक बनाने के लिए वह कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इसलिए पार्टी संगठन में व्यापक और बड़े बदलाव की संभावना है।
पृष्ठभूमि
विपक्ष द्वारा राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार के भीतर अंदरूनी कलह के दावों के खिलाफ संगठनात्मक बदलाव की अटकलें लगाई जा रही हैं। यह चर्चा रविवार को पार्टी की एक बैठक के दौरान उपमुख्यमंत्री मौर्य द्वारा की गई टिप्पणी से शुरू हुई। मौर्य ने कहा, “संगठन सरकार से बड़ा है। संगठन से बड़ा कोई नहीं है।” इस टिप्पणी को व्यापक रूप से मुख्यमंत्री आदित्यनाथ पर परोक्ष रूप से निशाना साधने के रूप में देखा गया।
इस टिप्पणी पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य सरकार के भीतर की लड़ाई के कारण राज्य की जनता परेशान है। उन्होंने कहा, “भाजपा नेता आपस में ही लड़ रहे हैं। जनता भ्रष्टाचार के बारे में जानती है और सिंहासन के खेल से तंग आ चुकी है।”
हालांकि, भाजपा ने अंदरूनी कलह की चर्चा को खारिज कर दिया। समाजवादी पार्टी प्रमुख को जवाब देते हुए श्री मौर्य ने आज दोपहर ट्वीट किया कि देश और प्रदेश में भाजपा की सरकारें और संगठन मजबूत हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “यूपी में सपा के गुंडों के राज की वापसी असंभव है। भाजपा 2027 के विधानसभा चुनावों में 2017 को दोहराएगी।” गौरतलब है कि श्री मौर्य 2017 में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष थे और उस चुनाव में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की थी।
भाजपा की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में आदित्यनाथ ने कहा था कि लोकसभा चुनाव में पार्टी को “अति आत्मविश्वास” की कीमत चुकानी पड़ी। आदित्यनाथ ने कहा, “2014 और उसके बाद के चुनावों में भाजपा के पक्ष में जितने वोट प्रतिशत थे, भाजपा 2024 में भी उतने ही वोट पाने में सफल रही है, लेकिन वोटों के बदलाव और अति आत्मविश्वास ने हमारी उम्मीदों को चोट पहुंचाई है।” उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से आगामी उपचुनावों की तैयारियों को तेज करने का आह्वान किया।