कुशीनगर-देवरिया को केंद्र की बड़ी सौगात, हादसों से राहत दिलाएंगे 5 अंडरपास

कुशीनगर:
पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर और देवरिया जिले के लोगों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर आई है। हादसों के लिए बदनाम राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 28 पर अब पांच अंडरपास बनाए जाएंगे, जिनसे ना सिर्फ लोगों की जान बचेगी, बल्कि यातायात भी पहले से अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने शनिवार को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच इन अंडरपासों का विधिवत शिलान्यास किया। इस मौके पर कुशीनगर सांसद विजय दूबे, देवरिया सांसद शशांक मणि त्रिपाठी के अलावा कई जनप्रतिनिधि, अधिकारी और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे।
बरसों से उठ रही थी मांग, अब मिली मंजूरी
हाटा, फाजिलनगर और सलेमगढ़ जैसे इलाकों में NH-28 पर बने कट लंबे समय से जानलेवा साबित हो रहे थे। हर साल इन स्थानों पर सैकड़ों लोग सड़क पार करते समय हादसों का शिकार हो जाते थे। स्थानीय लोग लगातार आवाज उठा रहे थे, लेकिन अब जाकर उनकी सुनवाई हुई है। कुशीनगर और देवरिया के सांसदों ने इस मुद्दे को केंद्र तक पहुंचाया और अंडरपास बनवाने की मांग की। सरकार ने इस प्रस्ताव को प्राथमिकता देते हुए पांच अंडरपासों के निर्माण को मंजूरी दी है। कुल मिलाकर इस परियोजना पर 111 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
कहां-कहां बनेंगे अंडरपास?
कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र के हाटा नगर में दो अंडरपास बनेंगे — एक बाघनाथ चौराहे पर और दूसरा केन यूनियन चौराहे पर। इन दोनों के निर्माण पर लगभग 47 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वहीं देवरिया क्षेत्र में फाजिलनगर और सलेमगढ़ में तीन अंडरपास बनेंगे। इन पर करीब 64 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। अधिकारियों के अनुसार, इन अंडरपासों से लोगों को हाईवे पार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे दुर्घटनाओं में काफी कमी आएगी।
सांसदों ने जताया आभार, जनता में खुशी
शिलान्यास समारोह में सांसद विजय दूबे ने कहा, “यह केवल अंडरपास नहीं, बल्कि जीवन सुरक्षा का काम करेंगे। वर्षों से लोग इन खतरनाक कटों से गुजरते हुए डरते थे। अब यह डर खत्म होगा।” सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने भी केंद्र सरकार का आभार जताते हुए कहा कि यह परियोजना देवरिया और कुशीनगर दोनों जिलों के लिए ऐतिहासिक साबित होगी।
जनता को उम्मीद — अब सुरक्षित होगा सफर
स्थानीय लोगों में भी इस फैसले को लेकर उत्साह है। एक दुकानदार संजय साहनी ने कहा, “कई बार हादसे होते देखे हैं, खुद भी बाल-बाल बचे हैं। अब अंडरपास बनेगा तो बच्चों को स्कूल भेजते हुए भी डर नहीं लगेगा।” इन अंडरपासों का निर्माण कार्य जल्द शुरू होगा और उम्मीद है कि अगले एक से डेढ़ साल में ये बनकर तैयार हो जाएंगे। यह परियोजना पूर्वांचल की सड़क सुरक्षा के लिहाज से एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।