मेरठ
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का पश्चिमी यूपी से गहरा नाता है. उनका पैतृक गांव बादलपुर इसी पश्चिमी यूपी में है इसी पश्चिमी यूपी के बिजनौर से मायावती ने अपना पहला लोकसभा चुनाव भी जीता राजनीति की मंझी हुई खिलाड़ी के तौर पर अपनी पहचान रखने वाली मायावती ने एक बार फिर अपना दांव चलने के लिए बिजनौर सीट को ही चुना दरअसल, मायावती ने लोकसभा चुनाव 2024 के मैदान में इस सीट से जिस उम्मीदवार को उतारा है, उसके जरिये उन्होंने खुलकर जाट कार्ड खेल दिया है बिजनौर उम्मीदवार चौधरी विजेंद्र सिंह के जरिए मायावती ने जयंत चौधरी को भी खुली चुनौती दे डाली है जैसे ही बिजनौर सीट से बीएसपी ने चौधरी बिजेंद्र सिंह को प्रत्याशी घोषित किया एक साथ मुस्लिम, दलित व पिछड़ों का समीकरण जोड़ने की उनकी कोशिश दिख गई हालांकि जयंत चौधरी ने भरपूर कोशिश की थी कि गुर्जर चंदन चौहान को इस से उताकर एक बड़ वोट बैंक को साधा जाए लेकिन उनको चुनौती देने के लिए मायावती ने जाट कार्ड खेल दिया जयंत चौधरी और बीजेपी को मायावती के इस कदम से थोड़ा तनाव का अनुभव तो हुआ ही होगा आरएलडी और बीजेपी ने बहुत ही मनन के बाद चंदन चौहान को इस सीट से उम्मीदवारी दी लेकिन अपने अनुभवी कदम से मायावती ने आरएलडी और बीजेपी दोनों की घेराबंदी कर दी
पश्चिमी यूपी को साधने में लगी है बीएसपी
जाट प्रत्याशी के सहारे ने मायावती जाट वोटों पर धाक जमाने की कोशिश की है चौधरी बिजेंद्र सिंह को यहां से उतारकर बीएसपी पश्चिमी यूपी को साधने में लगी है वहीं बसपा से उम्मीदवारी मिलने के बाद चौधरी बिजेंद्र सिंह ने कहा है कि कि वो इसका अहसान नहीं उतार पाएंगे हमेशा उनके ऋणी रहेंगे. और जीतेंगे अब देखना ये होगा कि जिन चौधरी बिजेंद्र ने लोकदल को छोड़ा वो बीएसपी के उम्मीदवार बनकर कौन सा कमाल करते हैं
बिजनौर से चौधरी विजेंद्र सिंह को घोषित किया प्रत्याशी
बसपा ने बिजनौर से वर्तमान सांसद मलूक नागर की जगह चौधरी विजेंद्र सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है इसी तरह मुजफ्फरनगर से दारा सिंह प्रजापति, मुरादाबाद से इरफान सैफी, अमरोहा से डॉ. मुजाहिद हुसैन उर्फ बाबू भाई और सहारनपुर से माजिद अली को प्रत्याशी घोषित किया गया है..साफ है कि यूपी में बीएसपी इस राजनीतिक जंग को त्रिकोणीय बनाने में जुटी हुई है