भारत ने फिर दोहराया साइप्रस की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन

नई दिल्ली, 12 जून 2025 — भारत ने एक बार फिर साइप्रस की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपने मजबूत समर्थन को दोहराया है। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि भारत, साइप्रस की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ पूरी तरह खड़ा है और किसी भी प्रकार के बल प्रयोग के खिलाफ है। यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर साइप्रस मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है।
भारत का यह रुख कोई नया नहीं है। 1974 में जब तुर्की ने साइप्रस पर सैन्य कार्रवाई करते हुए उसके उत्तरी हिस्से पर कब्जा कर लिया था, तब भी भारत ने इस कदम की निंदा की थी और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का हवाला देते हुए वहां की वैध सरकार के समर्थन में अपना पक्ष रखा था।
भारत और साइप्रस के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ और सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं। दोनों देश गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं और समय-समय पर एक-दूसरे के हितों का समर्थन करते आए हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भारत, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप, साइप्रस मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान का पक्षधर है और वह सभी संबंधित पक्षों से बातचीत और कूटनीति के जरिए समाधान निकालने की अपील करता है।
यह बयान भारत की उस नीति का हिस्सा है, जिसमें वह सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर बल देता है।