अंतरराष्ट्रीय

भारत ने जिससे पाक में मचाई तबाही, अमेरिका ने उसी ‘ब्रह्मोस’ से ईरान में काटा गदर, रेंज और स्‍पीड में बड़ा भाई

ईरान-इजरायल के बीच चल रही जंग के दौरान मिसाइलों और ड्रोन का जो इस्तेमाल देखा जा रहा है, वो बताने कि लिए काफी है कि सैन्य रणनीति के क्षेत्र में मिसाइलों की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है. हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव और पश्चिम एशिया में बढ़े तनाव के बीच दो प्रमुख मिसाइलें चर्चा में हैं — अमेरिका की टॉमहॉक क्रूज मिसाइल और भारत-रूस की संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल.

ये दोनों मिसाइलें अत्याधुनिक तकनीक की मिसाल हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान भारत की जिस मिसाइल की मार खाकर सबसे ज्यादा कराहा था, वो ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल ही थी. पाकिस्तान ने इसकी सटीक मारक क्षमता देखी और उसका दर्द भी झेला है. अब अमेरिका ने ऐसा ही दर्द टॉम हॉक क्रूज मिसाइल से ईरान को दिया है.

क्या है टॉम हॉक मिसाइल?

ईरान के फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर अमेरिका ने जो बंकर बर्स्टर बम गिराए हैं, उन्हें ले जाने वाली टॉमहॉक मिसाइल ही थी. 30 टॉमहॉक मिसाइलें तबाही का पैगाम लेकर 400 मील दूर मौजूद अमेरिकन सबमरीन से चली थीं. टॉमहॉक लैंड अटैक मिसाइल एक लॉन्ग रेंज सबसोनिक क्रूज़ मिसाइल है. 1991 में इस मिसाइल को पहली बार अमेरिका ने खाड़ी युद्ध के दौरान इस्तेमाल किया था. 18.3 फीट लंबी इस मिसाइल का वजन 3200 पाउंड है और ये 1000 पाउंड वॉरहेड ले जा सकती है. इसकी कीमत 2 मिलियन यूएस डॉलर बताई जाती है.

अमेरिका की टॉमहॉक मिसाइल की तुलना भारत की ब्रह्मोस मिसाइल से की जाती है. इसकी वजह ये है कि लक्ष्य भेदने की इन दोनों मिसाइलों की क्षमता बेहद सटीक है. दोनों की मिसाइलें इतनी तेज़ हैं कि एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में पूरी तरह से सक्षम हैं. ब्रह्मोस को भी ज़मीन, पनडुब्बी और युद्धपोत से लॉन्च किया जा सकता है और टॉमहॉक में भी यही क्षमता है. दोनों मिसाइलें ट्रैडिशनल वॉरहेड को लेकर जा सकती हैं. टॉमहॉक में जहां पहले परमाणु हथियारों को ले जाने की क्षमता थी, वहीं ब्रह्मोस भविष्य में न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने के लिए तैयार हो सकती है.

क्यों कहते हैं टॉमहॉक को ब्रह्मोस का बड़ा भाई?

ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर विकसित किया है, जबकि टॉमहॉक मिसाइल अमेरिका की रक्षा कंपनी रेथियॉन (Raytheon) ने बनाई गई है. आइए जानते हैं दोनों मिसाइलों में कहां और क्या अंतर है.

स्पीड में अंतर

ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक मिसाइल है, जो ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज़ (Mach 2.8–3.0) चलती है. टॉमहॉक एक सबसोनिक मिसाइल है, जिसकी गति लगभग 880 किमी प्रति घंटे है, यानि स्पीड के मामले में ब्रह्मोस का कोई तोड़ नहीं है.

दोनों मिसाइलों की मारक क्षमता

ब्रह्मोस की मारक क्षमता सामान्य रूप से 300 से 800 किमी के बीच होती है, जबकि इसके नए संस्करण 1,000+ किमी तक जा सकते हैं. वहीं टॉमहॉक की रेंज लगभग 1,600 से 2,500 किमी तक होती है, जो इसे लंबी दूरी का हथियार बनाती है. इसकी रेंज ब्रह्मोस से ढाई गुना ज्यादा है, जो इसे ज्यादा घातक बना देती है.

लॉन्च प्लेटफॉर्म

ब्रह्मोस को युद्धपोत, पनडुब्बी, ज़मीन से और फाइटर जेट (जैसे Su-30MKI) से लॉन्च किया जा सकता है. वहीं टॉमहॉक को युद्धपोत, पनडुब्बी और ज़मीन से लॉन्च किया जाता है, लेकिन इसका मुख्य इस्तेमाल नौसेना करती है.

वारहेड क्षमता

ब्रह्मोस पारंपरिक विस्फोटकों से लैस होता है और भविष्य में परमाणु संस्करण की भी संभावना है, जबकि टॉमहॉक भी पारंपरिक वारहेड के साथ आता है और इसके कुछ पुराने संस्करणों में परमाणु क्षमता थी.

गाइडेंस सिस्टम

ब्रह्मोस GPS, INS और Active Radar Homing जैसी आधुनिक तकनीकों से चलता है, जिससे यह अपने लक्ष्य को बहुत सटीकता से भेदता है. टॉमहॉक भी GPS, INS, और TERCOM जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है, जिससे यह काफी सटीक निशाने लगाता है.

सटीक निशाना

ब्रह्मोस की सटीकता लगभग 1 मीटर से भी कम मानी जाती है, जो इसे अत्यंत प्रभावशाली बनाती है. इस मामले में टॉम हॉक कहीं न कहीं ब्रह्मोस से आगे है. ये 10 मीटर के भीतर सटीक निशाना लगाती है, जो लंबी दूरी के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है.

दुश्मन से बचने की क्षमता

ब्रह्मोस अपनी अत्यधिक तेज रफ्तार की वजह से दुश्मन की एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम है. टॉमहॉक अपनी कम ऊंचाई पर उड़ान और स्मार्ट नेविगेशन की वजह से दुश्मन के रडार से बच निकलने में माहिर है

कब हुआ इस्तेमाल?

ब्रह्मोस को भारत ‘क्विक स्ट्राइक’ यानी अचानक हमले के लिए विकसित कर रहा है, खासकर चीन और पाकिस्तान के खिलाफ. ब्रह्मोस को अब तक वास्तविक युद्ध में प्रयोग नहीं किया गया है. वहीं टॉमहॉक का उपयोग अमेरिका ने इराक, सीरिया और लीबिया जैसे देशों में युद्ध की शुरुआत में किया है. यह अमेरिका की सबसे भरोसेमंद क्रूज मिसाइलों में गिनी जाती है.

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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