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भारत ने काबुल में खोला दूतावास, तो अफगान‍िस्‍तान का तुरंत रिटर्न ग‍िफ्ट, जानें क्‍यों कहा जा रहा गेमचेंजर

भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में अब नई जान आ गई है. मंगलवार को भारत ने काबुल में अपने तकनीकी मिशन को दूतावास का दर्जा दे दिया. मतलब साफ है क‍ि भारत अब अफगानिस्तान में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने जा रहा है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि यह कदम दोनों देशों के बीच दोस्ताना और सहयोगी रिश्तों को और गहरा करने की दिशा में लिया गया है. और जैसे ही भारत ने यह कदम उठाया, तालिबान सरकार ने भी तुरंत रिटर्न गिफ्ट दे दिया. ताल‍िबान सरकार के उपप्रधानमंत्री मुल्‍ला अब्‍दुल गनी बरादर तापी गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट देखने पहुंच गए. हां, वही तापी प्रोजेक्‍ट… तुर्कमेन‍िस्‍तान, अफगान‍िस्‍तान, पाक‍िस्‍तान और भारत को जोड़ने वाली गैस पाइपलाइन. यह भारत के ल‍िए गेम चेंचर होने वाला है. और इस बार तुर्कमेनिस्तान भी पूरी ताकत के साथ इसमें शामिल है.

TAPI प्रोजेक्ट भारत के लिए गेम चेंजर कैसे?

आप सोच रहे होंगे कि भारत को इससे क्या फायदा? दरअल, TAPI प्रोजेक्ट भारत के लिए गेमचेंजर है. यह पाइपलाइन सीधे भारत तक गैस लाएगी, जिससे देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी. बिजली बनेगी, उद्योग चलेंगे और घरेलू गैस की सप्लाई भी आसान होगी.

अफगान उपप्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने कहा कि यह प्रोजेक्ट सिर्फ पाइपलाइन नहीं है, बल्कि भरोसे और क्षेत्रीय सहयोग का पुल है. यानी भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के बीच रणनीतिक दोस्ती और व्यापार के नए रास्ते खुल रहे हैं.

तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बेर्दिमुहम्मेदोव ने भी कहा कि TAPI उनके देश की प्राथमिकताओं में शामिल है और समय पर पूरा करना उनका लक्ष्य है. उनका मानना है कि प्रोजेक्ट पूरे क्षेत्र के लिए आर्थिक स्थिरता और विकास लाएगा.

काबुल में दूतावास खोलना क्यों खास है

भारत का काबुल में दूतावास खुलना सिर्फ कागजों की बात नहीं है. इसका मतलब है कि अब भारत अफगानिस्तान में सीधे तौर पर अपने विकास, मानवीय सहायता और क्षमता निर्माण के कामों में और सशक्त भूमिका निभा सकेगा. दूतावास के जरिए भारत अफगान समाज की प्राथमिकताओं के हिसाब से मदद कर सकेगा और वहां स्थायी राजनीतिक और आर्थिक संपर्क बनाए रख सकेगा.

TAPI प्रोजेक्ट की हाल की स्थिति

अफगान‍िस्‍तान के न्‍यूज पोर्टल टोलो न्‍यूज के मुताबिक, तापी पाइपलाइन का काम अफगानिस्तान में पिछले साल से चल रहा है. अफगान सरकार के मुताबिक अब तक अफगान जमीन पर 14 किलोमीटर पाइपलाइन पूरी हो चुकी है और लगभग 70 किलोमीटर पाइपलाइन लगाने की तैयारी की जा चुकी है. तुर्कमेनिस्तान से गैस पाइपलाइन की बड़ी सामग्री भी अफगानिस्तान भेजी जा चुकी है. अफगान अधिकारी हामदुल्लाह फितरत का कहना है कि जैसे ही पाइपलाइन हेरात तक पहुंचेगी, अफगानिस्तान को तुर्कमेन गैस सीधे मिल सकेगी. इससे वहां की जनता को गैस की सप्लाई आसानी से मिल पाएगी.

भारत को सीधा फायदा

सीधी बात, तापी प्रोजेक्‍ट पर काम पूरा हो जाने से भारत को एनर्जी सिक्‍योरिटी मिलेगी. देश की बढ़ती बिजली और गैस की जरूरत को पूरा करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, क्षेत्रीय सहयोग मजबूत होगा और अफगानिस्तान-तुर्कमेनिस्तान के रास्ते से भारत के उद्योग और व्यापार को नई ऊर्जा मिलेगी. यानी भारत सिर्फ गैस ही नहीं पाएगा, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक फायदे भी होंगे. कूटनीत‍िक मामलों के जानकारों का कहना है कि यह कदम सिर्फ अफगानिस्तान और भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के लिए महत्वपूर्ण है. भारत अपनी मौजूदगी दिखा रहा है और ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ राजनीतिक प्रभाव भी बढ़ा रहा है.

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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