आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है यह किताबे जिसको लेकर जम्मू-कश्मीर की सरकार ने 25 किताबों पर लगाया प्रतिबंध

जम्मू-कश्मीर की सरकार ने प्रदेश में 25 किताबों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। इन किताबों पर आरोप है कि इनके जरिए झूठी कहानी गढ़कर अलगाववाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रतिबंध लगाई गई इन किताबों में सबसे प्रमुख नाम लेखिका और कार्यकर्ता अरुंधति राय का है, जिनकी कश्मीर मुद्दे पर लिखी किताब ‘आजादी’ को बैन कर दिया गया है। इसके अलावा एजी नूरानी की ‘द कश्मीर डिस्प्यूट 1947-2012’, सुमंत्र बोस की ‘कश्मीर एट द क्रॉसरोड्स’ और ‘कॉन्टेस्टेड लैंड्स’ को भी बैन किया गया है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बुधवार को 25 किताबों के प्रकाशन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. सरकार का कहना है कि ये किताबें झूठे विमर्श को बढ़ावा देती हैं, युवाओं को भड़काती हैं और आतंकवाद का महिमामंडन करती हैं।
इनमें कुछ नामचीन लेखकों जैसे मौलाना मौदादी, अरुंधति रॉय, एजी नूरानी, विक्टोरिया स्कोफील्ड और डेविड देवदास की किताबें भी शामिल हैं. गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, ‘सरकार के संज्ञान में आया है कि कुछ साहित्य जम्मू-कश्मीर में झूठे विमर्शों और अलगाववाद का प्रचार करते हैं।
जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना में इन किताबों को प्रतिबंधित करने के पीछे तर्क भी दिया गया है। राज्य गृह विभाग के मुख्य सचिव चंद्रेकर भारती ने कहा, “अगर कोई साहित्य ऐतिहासिक घटना या राजनीतिक टिप्पणी से जोड़कर लिखा जाता है। वह युवाओं की कट्टरतावादी सोच, हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा देता है। ऐसा साहित्य स्थानीय लोगों में पीड़ित होने के भय को बढ़ावा देता है और आतंकवादी वीरता की संस्कृति को बढ़ाकर युवाओं की मानसिकता पर गहरा प्रभाव छोड़ता है।”
‘युवाओं को गुमराह करने वाला साहित्य’
बयान में कहा गया है कि जांच और विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर उपलब्ध साक्ष्य ‘स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं’ कि युवाओं के हिंसा और आतंकवाद में शामिल होने की एक बड़ी वजह यह साहित्य है. इसे ऐतिहासिक या राजनीतिक टिप्पणी के रूप में फैलाया जाता है और यह धीरे-धीरे युवा दिमाग पर असर डालता है।
आदेश के मुताबिक, “ऐसा साहित्य भारत के खिलाफ युवाओं को गुमराह करने, आतंकवाद का महिमामंडन करने और हिंसा भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.”।
इन किताबों पर लगा प्रतिबंध
जिन किताबों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें मौलाना मौदादी की अल जिहादुल फिल इस्लाम, क्रिस्टोफर स्नेडेन की इंडिपेंडेंट कश्मीर, डेविड देवदास की इन सर्च ऑफ ए फ्यूचर, विक्टोरिया स्कोफील्ड की कश्मीर इन कॉन्फ्लिक्ट, ए.जी. नूरानी की कश्मीर डिस्प्यूट (1947–2012), अरुंधति रॉय की आजादी शामिल हैं.
प्रकाशन और बिक्री दोनों पर रोक
गृह विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इन किताबों को बाजार से हटाया जाए और इन्हें आगे किसी भी रूप में प्रकाशित या बेचा न जाए।
सरकार का यह फैसला कई हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है. जहां एक तरफ इसे युवाओं को गुमराह होने से बचाने की कोशिश बताया जा रहा है, वहीं कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल के रूप में देख रहे हैं।