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CBI अधिकारी होने का धौंस दिखाकर करोड़ों की वसूली करने वाले अब ‘साहब’ की हालत

India में साइबर अपराध: दुर्ग पुलिस ने दो प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने फर्जी दिल्ली पुलिस और सीबीआई अधिकारी बनकर एक महिला से लगभग 41 लाख रुपये ठगी की। इसके अलावा, इस गिरोह ने ठगी से प्राप्त धन को क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से दुबई भेजने का भी प्रबंध बनाया था।

दुर्ग पुलिस ने इस मामले में दो प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो फर्जी दिल्ली पुलिस और सीबीआई अधिकारी बनकर एक महिला से लगभग 41 लाख रुपये ठगे। इसके अलावा, इस गिरोह ने ठगी से प्राप्त धन को क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से दुबई भेजने का भी प्रबंध बनाया था। गुजरात, दिल्ली और दुबई में गिरोह का नेटवर्क था।

पीड़िता ने बताया कि 21 जनवरी 2025 को सुबह 10:35 बजे उनके मोबाइल पर एक वीडियो कॉल आया था, जिसमें कॉल करने वाला खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताकर सीबीआई इन्वेस्टिगेशन का हवाला देने लगा। कॉल में उपस्थित एक व्यक्ति ने कहा कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग ट्रैफिकिंग और आईडेंटिटी थेफ्ट जैसे गंभीर आरोपों की जांच चल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके नाम से दिल्ली में एक एचडीएफसी बैंक खाता है, जिसमें लगभग 8.7 करोड़ रुपये की जमा है। पीड़िता को व्यक्तिगत जानकारी दी गई और कहा गया कि अगर वह तुरंत दिल्ली आकर बयान नहीं देती, तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

पीड़िता ने डर से ऑनलाइन बयान देने की सहमति दी। बाद में उन्हें एक फर्जी नाम से आईपीएस अधिकारी सुनील कुमार गौतम से वीडियो कॉल मिला, जिन्होंने पूछताछ करते हुए उन्हें आरटीजीएस के माध्यम से उनके बैंक खाते से लगभग 41 लाख रुपये आरबीआई में जमा करने को कहा। उन्हें भरोसा दिलाया गया कि जांच में सब कुछ सही निकलने पर आपको पैसे वापस मिल जाएंगे। पीड़िता को ठगी का एहसास हुआ और 4 फरवरी 2025 को थाना कोतवाली दुर्ग में शिकायत दर्ज करवाई जब दिल्ली पुलिस से संपर्क नहीं हो सका।

साइबर सेल भिलाई ने जांच करते हुए पाया कि पीड़िता ने 29 जनवरी 2025 को राजकोट नागरिक सहकारी बैंक, मोरबी शाखा (गुजरात) के एक खाते में ₹9,50,000 भेजा था। “आस्था लॉजिस्टिक” नामक संस्था का संचालक मनीष दोसी (46 वर्षीय, मोरबी, गुजरात) था। मनीष दोसी, आरोपी, विधिवत गिरफ्तार किया गया।

पूछताछ में उसने बताया कि गुजरात के सुरेन्द्रनगर में रहने वाले उसके साथी अशरफ खान ने पैसे अपने खाते में डाले थे। बाद में आरोपी अशरफ को साइबर पुलिस ने गिरफ्तार कर उसके मोबाइल की जांच की। उस समय उसके मोबाइल पर क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित ऐप्स और चैट्स मिले, जो पुष्टि करते हैं कि ठगी से प्राप्त धन को क्रिप्टो में बदलकर दुबई भेजा जा रहा था।

वकील ने यह भी बताया कि ठगी के तुरंत बाद स्थानीय “अंगड़िया” के माध्यम से धन हवाला चैनल में भेजा जाता था और फिर वहां से इसे दूसरे जालसाजों तक भेजा जाता था। साथ ही, आरोपियों से रुपये गिनने की मशीन, मोबाइल फोन, एक इनोवा फोर्ड एंडेवर कार (GJ 13 AR 2422) और कई बैंक कागजात जब्त किए गए हैं।

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