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दुनिया के इस देश में नहीं हैं एक भी मच्छर, वैज्ञानिक खुद चकराए कि ऐसा आखिर कैसे

दुनिया की एक बड़ी आबादी की जान मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों से चली जाती हैं. कुछ मौसम ऐसे होते हैं जब मच्छरों की फौज जीना हराम कर देती है. भारत में तो कम से कम कोई ऐसी जगह नहीं है, जहां मच्छर नहीं होते लेकिन दुनिया में एक ऐसा देश जरूर है, जहां मच्छर नहीं होते. साइंटिस्ट ने भी इसकी वजह तलाशने की कोशिश की कि ऐसा क्यों है.

दुनिया के इस देश में नहीं एक भी मच्छर, वैज्ञानिक खुद चकराए कि ऐसा आखिर कैसे

वो आपका खून चूसते हैं. कानों के आसपास भिनभिनाते हैं. उनकी काट वाली जगह खुजली के मारे बेहाल कर देती है. रातों की नींद छीन लेती है. कहा जाता है कि वो दुनिया में मानव प्रजाति के लिए सबसे खतरनाक हत्यारे हैं. वे तमाम बीमारियां फैलाते हैं. आंकड़ें कहते हैं कि मच्छरों के कारण दुनिया में हर साल करीब 10 लाख लोगों की जान चली जाती है. क्या आपको मालूम है कि दुनिया का एक खुशकिस्मत देश ऐसा है जहां मच्छर नहीं होते.

दुनिया के करीब हर देश में मच्छरों का आतंक होता ही है, बेशक कुछ मौसम में वो वहां से नदारद हो जाते हों लेकिन अनुकूल मौसम होते ही फिर आ धमकते हैं और भिन-भिन करने लगते हैं. काटते हैं और बीमारियों को जन्म देते हैं. तो क्या आप अंदाज लग सकते हैं कि दुनिया का वो अकेला देश कौन सा है जहां मच्छर नहीं होते.

क्या फ्रांस, स्विट्जरलैंड, आयरलैंड या अमेरिका….नहीं नहीं इनमें सभी देशों में मच्छर अनुकूल मौसम में प्रगट हो जाते हैं और उनकी भिन-भिन लोगों का जीना हराम कर देती है. दुनिया का एक ही देश है, जहां ये नहीं मिलते, इसे छोड़कर हर जगह होते हैं. इस देश का नाम है आइसलैंड.

ये देश कौन सा है

आइसलैंड दुनिया का अकेला देश है जो मच्छर-मुक्त है. और कोई भी वास्तव में नहीं जानता कि ऐसा क्यों है. यह अंटार्कटिका जितना ठंडा नहीं है. न ही आइसलैंड में तालाबों और झीलों की कमी है, जहां मच्छरों को प्रजनन करना पसंद है. आइसलैंड के पड़ोसियों – नॉर्वे, डेनमार्क, स्कॉटलैंड, यहां तक कि ग्रीनलैंड में भी मच्छर पनपते हैं. तो कह सकते हैं कि ये एक रहस्य है कि आइसलैंड में मच्छर क्यों नहीं हैं.

दुनिया में लाखों करोड़ों सालों से हैं मच्छर

वैज्ञानिकों का अब तक पेश किया गया सबसे असरदार सिद्धांत ये है कि आइसलैंड की समुद्री जलवायु उन्हें दूर रखती है. वैसे आपको बता दें कि मच्छर दुनिया में 30 मिलियन वर्ष से अधिक पुराने हैं. दुनियाभर में इनकी 3,500 से अधिक प्रजातियां हैं.

किस वातावरण में ये पनपते हैं

वैज्ञानिकों के अनुसार, मच्छरों को गीला आर्द्र वातावरण पसंद होता है लेकिन वे ठंड में भी जीवित रह सकते हैं. आइसलैंड के पानी और मिट्टी की रासायनिक संरचना मच्छरों के प्रजनन के लिए उपयुक्त नहीं है. लेकिन क्यों, ये एक रहस्य है जिसे वैज्ञानिक दशकों से सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.

क्या ग्लोबल वार्मिंग बदल देगी ये स्थिति

वैसे पर्यावरणविदों को डर है कि बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और इसके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन से हो सकता है कि भविष्य में आइसलैंड में भी मच्छर पैदा होने लगें. आइसलैंड में मच्छर केवल एक ही जगह हैं, और वो है आइसलैंडिक इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल हिस्ट्री म्युजियम, जहां उनके अवशेष नमूने को शराब के एक जार में सुरक्षित रखा गया है.

रोज कितने मच्छर मरते हैं और कितने पैदा हो जाते हैं

वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रोज वयस्क मच्छरों की 30 फीसदी आबादी मर सकती है, लेकिन प्रजाति के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए मादाएं बेतहाशा अंडे देकर इसकी भरपाई करती हैं. नर मच्छर आम तौर पर केवल 6-7 दिन ही जीवित रहते हैं. मच्छर मलेरिया, लिम्फेटिक फाइलेरिया, जीका, वेस्ट नाइल वायरस, चिकनगुनिया, पीला बुखार और डेंगू जैसी घातक बीमारियां फैलाते हैं.

मादा मच्छर ही काटते हैं

लगता तो नहीं कि मनुष्य अपनी विशाल और व्यापक आबादी के बावजूद सभी मच्छरों को पूरी तरह से खत्म करने में सक्षम होंगे. वैसे आपको बता दें कि 3,500 से अधिक ज्ञात मच्छर प्रजातियों में से केवल 6 फीसदी मादाएं ही मनुष्यों को काटती हैं और उनमें से आधी ही मनुष्यों में बीमारी का कारण बनती हैं.

अगर दुनिया से मच्छर खत्म हो जाएं तो ….

अगर दुनिया से मच्छर खत्म हो गए, तो इनके खाने वाले अन्य कीड़े और मछलियां भी कम हो जाएंगे, जिससे पूरी खाद्य श्रृंखला पर असर पड़ सकता है. मच्छरों के ना होने से परागण खत्म हो जाएगा. परागण की प्रक्रिया के तहत मच्छर पौधों के पराग लेकर अलग-अलग जगह गिराते चलते हैं, जिससे नए पौधे अलग जगहों पर उगते हैं. मच्छरों के बिना, कुछ पौधों की प्रजातियां प्रजनन के लिए संघर्ष कर सकती हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र का समग्र स्वास्थ्य प्रभावित होता है.

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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