अंतरराष्ट्रीय

भारत-बांग्लादेश संबंधों में बढ़ी दरार, 180 करोड़ की नौसेना डील रद्द: अंतरिम सरकार के रुख से बढ़ा तनाव

ढाका।

दक्षिण एशिया के दो पड़ोसी देशों — भारत और बांग्लादेश — के रिश्तों में एक बार फिर खटास दिखने लगी है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत की प्रमुख डिफेंस कंपनी गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) के साथ 21 मिलियन डॉलर (करीब 180 करोड़ रुपये) की एक अहम रक्षा डील को अचानक रद्द कर दिया है। यह फैसला ऐसे वक्त पर आया है जब पहले से ही दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक तनाव का माहौल बना हुआ है।

यह डील बांग्लादेश नौसेना के लिए एक 800 टन की अत्याधुनिक समुद्री टग बोट के निर्माण और आपूर्ति को लेकर थी, जिसकी डिलिवरी अगले दो वर्षों में की जानी थी। पिछले साल जुलाई में यह करार GRSE और बांग्लादेश के रक्षा खरीद निदेशालय के बीच ढाका में साइन हुआ था। इस करार पर मुहर तब लगी थी जब भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ढाका दौरे पर थे। उस वक्त इसे भारत-बांग्लादेश के बीच रक्षा सहयोग को नया आयाम देने वाला कदम माना जा रहा था।

पहली बड़ी डील, फिर भी अचानक झटका

गौरतलब है कि यह करार भारत की ओर से बांग्लादेश को दी गई 500 मिलियन डॉलर की रक्षा ऋण सुविधा के तहत पहली बड़ी डील थी। यह क्रेडिट लाइन भारत द्वारा बांग्लादेश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से प्रदान की गई थी।

इस टग बोट की लंबाई 61 मीटर थी और यह पूर्ण भार के साथ 13 नॉट्स की रफ्तार से चल सकती थी। इसे बांग्लादेश नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक डील माना जा रहा था। लेकिन अब इसका रद्द होना यह संकेत देता है कि सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि राजनीतिक कारण भी इस फैसले के पीछे हो सकते हैं।

राजनीतिक उलटफेर के बाद बदले समीकरण

बांग्लादेश में जुलाई-अगस्त 2024 में जब प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को हटाकर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार सत्ता में आई, तभी से भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में दरारें दिखने लगी थीं। अब यह डील रद्द होने से साफ हो गया है कि नई सरकार की प्राथमिकताएं और रुख भारत को लेकर काफी बदला हुआ है।

वहीं, भारत की ओर से कुछ समय पहले बांग्लादेशी उत्पादों पर आयात प्रतिबंध लगाए गए थे, जिससे व्यापारिक रिश्तों में भी तनाव बढ़ा। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पहले से ही दबाव में है और ऐसे में भारत जैसे बड़े बाजार का आंशिक नुकसान बड़ा झटका हो सकता है।

सेना और अंतरिम सरकार आमने-सामने

स्थिति तब और पेचीदा हो गई जब बांग्लादेश सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने की सार्वजनिक मांग रखी। उनका मानना है कि देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करना जरूरी है और 2026 तक एक चुनी हुई सरकार सत्ता में आनी चाहिए। इससे यह साफ है कि अंतरिम सरकार और सेना के बीच भी तनाव अपने चरम पर है, जो बांग्लादेश की आंतरिक स्थिरता के साथ-साथ उसके अंतरराष्ट्रीय रिश्तों को भी प्रभावित कर रहा है।

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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