गोंडा

गोंडा के गांवों में तालाबों से छलकने लगी तरक्की की तस्वीर, मनरेगा बना बदलाव का औज़ार

*नेहा शर्मा की अगुवाई में गोंडा का जल अभियान बना प्रदेश का मॉडल*

*मनरेगा से मिट्टी में उगते सपने: गोंडा में गांव-गांव जल संरक्षण की कहानी*

*गोंडा में मनरेगा के तहत 105 तालाबों से जल संरक्षण और रोजगार की नई क्रांति*

*16 विकासखंडों में 59 पूर्ण और 46 निर्माणाधीन तालाब: गोंडा का मनरेगा मॉडल*

गोंडा, 18 मई 2025:

जहां कभी सूखी ज़मीन थी, अब वहां जीवन की नमी है। जहां कभी खाली हाथ थे, अब वहां आत्मनिर्भरता की कुदालें चल रही हैं। उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले में मनरेगा के तहत चल रहा तालाब निर्माण अभियान एक नई ग्रामीण क्रांति की तरह सामने आया है — जिसमें जल संरक्षण, रोज़गार और सामुदायिक भागीदारी, तीनों एक साथ आकार ले रहे हैं।

ज़िलाधिकारी नेहा शर्मा की रणनीतिक नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक टीम की प्रतिबद्धता ने यह सुनिश्चित किया कि योजना केवल कागज़ों तक सीमित न रह जाए, बल्कि गांव की ज़मीन पर उसका ठोस असर दिखे। ज़िले के 16 विकासखंडों में 105 तालाबों का निर्माण प्रारंभ हुआ है, जिनमें से 59 तालाब पूर्ण हो चुके हैं और 46 तालाबों पर काम प्रगति पर है।

*गांवों में उगता नया विश्वास*

इस अभियान की खूबी इसकी समावेशिता है — जहां हर पंचायत एक भागीदार है। मनकापुर के गढ़ी, करनैलगंज के दिनारी, छपिया के चंदीरत्ती और सिसैहनी, बभनजोत के कस्बा खास, और रुपईडीहा के अनैगी जैसी पंचायतों ने न सिर्फ निर्माण कार्यों में तेजी दिखाई, बल्कि सामुदायिक सहभागिता से योजना को जनांदोलन का रूप दे दिया।

*प्रशासनिक पारदर्शिता और निरंतर निगरानी*

जिलाधिकारी नेहा शर्मा के निर्देशन में कार्यों की जियो टैगिंग, फोटोग्राफिक रिकॉर्डिंग, और सूचना बोर्डों के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है। ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव, और रोजगार सेवकों के बीच बेहतर समन्वय ने पूरे ज़िले में एक सकारात्मक वातावरण तैयार किया है।

पंडरी कृपाल ब्लॉक अग्रणी बनकर उभरा है जहां 27 तालाब (9 पूर्ण, 18 निर्माणाधीन) हैं। लेकिन अब अन्य विकासखंडों की पंचायतें भी इसी रफ्तार से आगे बढ़ रही हैं।

इस अभियान को प्रभावी बनाने में उपायुक्त श्रम रोजगार जनार्दन प्रसाद ने बताया: “हमारी कोशिश रही है कि मनरेगा को केवल रोजगार तक सीमित न रखकर ग्रामीणों के लिए दीर्घकालिक संसाधनों के निर्माण का माध्यम बनाया जाए। तालाबों के निर्माण से जहां जल संरक्षण सुनिश्चित होगा, वहीं गांवों में स्थानीय स्तर पर आजीविका के नए रास्ते खुलेंगे। यह केवल मिट्टी हटाने का कार्य नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की नींव है।”

*रोजगार के साथ आत्मसम्मान भी*

गांवों में रहकर ही काम करने का अवसर मिलने से ग्रामीणों का आत्मविश्वास बढ़ा है। कई पंचायतों में महिलाएं भी सक्रिय रूप से कार्यों में भाग ले रही हैं। मजदूरी के साथ गांव के लिए कुछ स्थायी बनाने का संतोष इस अभियान को और अधिक सार्थक बना रहा है।

ज़िलाधिकारी नेहा शर्मा कहती हैं: “यह सिर्फ तालाबों की योजना नहीं, बल्कि गांवों में भरोसे, भागीदारी और भविष्य निर्माण की नींव है। गोंडा की हर पंचायत अब खुद को विकास की धुरी मान रही है, और यही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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