
1. भोजपुरी को आधिकारिक भाषा का दर्जा देने की मांग: महागठबंधन के नेताओं ने बिहार में भोजपुरी को आधिकारिक भाषा का दर्जा देने की मांग की है। उन्होंने इस मुद्दे को संसद में उठाने का संकल्प लिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मराठी, बंगाली, पाली, प्राकृत और असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के बाद, भोजपुरी को भी संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग जोर पकड़ रही है।
2. पटना हाईकोर्ट में पहली बार हिंदी में फैसला: पटना हाईकोर्ट ने पहली बार हिंदी में एक निर्णय सुनाया है। यह कदम न्यायिक प्रक्रिया में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। इससे न्यायिक व्यवस्था में हिंदी के महत्व को रेखांकित किया गया है।
3. हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का संकल्प: बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के 106वें स्थापना दिवस और 43वें महाधिवेशन के अवसर पर हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के लिए संघर्ष का संकल्प लिया गया। सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों को इस संबंध में पत्र लिखा है, जिसमें सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है।
4. बिहार की भाषाई पहचान: बिहार में हिंदी के साथ-साथ भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका और बज्जिका जैसी भाषाएं बोली जाती हैं, जो राज्य की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती हैं। बिहार ने हिंदी को सबसे पहले राज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी थी, जिससे हिंदी के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान मिला है।
इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि बिहार में हिंदी और अन्य स्थानीय भाषाओं के प्रति जागरूकता और सम्मान बढ़ रहा है, जिससे भाषाई समृद्धि को प्रोत्साहन मिल रहा है।