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हर सीट पर कटेंगे इतने हजार वोटरों के नाम! बहती गंगा में कौन धोएंगे हाथ, नीतीश, तेजस्वी या PK?

बिहार चुनाव से पहले राज्य में मतदाता सूची को लेकर सड़क से लेकर संसद और सुप्रीम कोर्ट तक बवाल मचा हुआ है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार की जहां इस मुद्दे पर मौन सहमति है तो वहीं तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर (PK) खुले तौर पर इसका विरोध कर रहे हैं. बिहार चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है. निर्वाचन आयोग (ECI) ने इस प्रक्रिया को मतदाता सूची को शुद्ध करने का दावा किया है. लेकिन विपक्षी दलों ने इसे साजिश करार दे रही है. मतदाता सूची पुनरीक्षण ने देश में तीखी बहस को भी जन्म दिया है. इस बीच आयोग के पहले चरण का काम पूरा होने के बाद जारी आंकड़ों के मुताबिक इस अभियान में अब तक 35.5 लाख से लेकर 65.2 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाने की संभावना है. यह आंकड़ा 70 लाख तक भी पहुंच सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर वोटरों के नाम काटे जाते हैं तो हर विधानसभा सीट से औसतन कितने हजार वोटर कम हो जाएंगे?

असर बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर औसतन पड़ेगा. इस प्रक्रिया से बिहार के राजनीतिक समीकरण में बड़ा बदलावल होने से इंकार नहीं किया जा सकता है. वोटरों के नाम कटने से जहां कुछ पार्टी को फायदा होगा तो वहीं कुछ पार्टियों की खटिया खड़ी हो सकती है. बता दें कि चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 से शुरू हुए SIR अभियान के तहत बिहार की मतदाता सूची को साफ करने का अभियान शुरू किया. इस प्रक्रिया में बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) और 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) ने घर-घर जाकर 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 98.01% को कवर किया है. आंकड़ों के मुताबिक अब तक 35.5 लाख से 65.2 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं, हालांकि चुनावव आयोग उनको भी नाम हटाने से पहले नोटिस देगी. अगर वह नोटिस का जवाब नहीं देते हैं तो उनका नाम कटना तय है.

मतदाता सूची पुनरीक्षण के बाद कितने नाम हटे?

चुनाव आयोग और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पहले चरण की प्रक्रिया में तकरीबन 42 लाख मतदाता अपने पंजीकृत पते पर नहीं मिले हैं. 11,000 मतदाताओं का कोई पता नहीं है. यह प्रक्रिया 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ पहले चरण की समाप्ति की ओर है, जिसमें 7.24 करोड़ मतदाता शेष रहेंगे.

प्रति विधानसभा सीट औसत प्रभाव

बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं. यदि 35.5 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं तो प्रति विधानसभा सीट औसतन 14,609 मतदाता प्रभावित होंगे (35,50,000 ÷ 243). यदि यह आंकड़ा 70 लाख तक पहुंचता है जैसा कि कुछ अनुमानों में दावा किया गया है तो प्रति सीट औसतन 28,807 मतदाता प्रभावित हो सकते हैं. यह संख्या 2020 के विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर जीत-हार के अंतर (1,000-2,000 वोट) से कहीं अधिक है, जिससे साफ है कि यह पुनरीक्षण चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है

चुनाव आयोग की कार्यवाही

चुनाव आयोग ने इस अभियान को पारदर्शी और समावेशी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं. घर-घर जाकर सत्यापन हो रहा है. तीन दौर के सर्वेक्षण में 78,895 मतदान केंद्रों पर BLO और BLA ने गणना फॉर्म वितरित किए. 88.6% मतदाताओं ने फॉर्म जमा किए, जबकि 54 लाख ने अभी तक ऐसा नहीं किया. ऑनलाइन और ऑफलाइन सुविधा दोनों उपलब्ध है. प्रवासी मतदाताओं के लिए voters.eci.gov.in और ECI मोबाइल ऐप के जरिए फॉर्म जमा करने की सुविधा दी गई है. साथ ही आपत्ति और सुधार का अवसर भी दिया गया है. 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक ड्राफ्ट सूची में त्रुटियों के लिए दावे और आपत्तियां दर्ज की जा सकती हैं. अंतिम सूची 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित होगी.

चुनाव आयोग ने पूरे राज्य में 261 निकायों के 5,683 वार्डों में शिविर लगाए हैं. अवैध पंजीकरण पर कार्रवाई हो रही है. नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं. लेकिन विपक्षी महागठबंधन खासकर आरजेडी और कांग्रेस ने इस प्रक्रिया को गरीब, दलित और मुस्लिम मतदाताओं के खिलाफ साजिश करार दिया है. तेजस्वी यादव ने चेतावनी दी है कि 1% वोटर हटने से 35 सीटों का समीकरण बदल सकता है. दूसरी ओर बीजेपी और जेडीयू का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए जरूरी है. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने भी इसे सत्ताधारी दलों के पक्ष में बताया है. इस प्रक्रिया से बिहार के हर विधानसभा सीट से औसतन 14,609 से 28,807 मतदाताओं के हटने की संभावना ने 2025 के चुनाव को और रोमांचक बना दिया है.

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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