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सुप्रीम कोर्ट कहता है कि वह राष्ट्रपति और राज्यपालों पर समयसीमा नहीं लगा सकता l

नई दिल्ली [भारत], 20 नवंबर : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने परामर्शपूर्ण विचार व्यक्त किए कि क्या वह राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित बिलों पर कार्रवाई करने के लिए राष्ट्रपति और राज्य राज्यपालों पर समयसीमा ‘लगू’ कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने मत व्यक्त किया है कि न्यायालय राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए राज्य विधानमंडल द्वारा पारित बिलों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा निर्धारित नहीं कर सकते।
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवाई की अध्यक्षता वाली एक संवैधानिक पीठ ने अपने विचार व्यक्त किए, जबकि संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रस्तुत 13 सवालों का उत्तर दे रही थी, विशेष रूप से यह कि क्या राज्य बिलों को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा तय की जा सकती है।



