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शेख हसीना की दुश्मन नंबर 1 खालिदा जिया को क्यों छोड़ना पड़ा देश

Khaleda Zia Departs for London: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया मंगलवार को इलाज के लिए लिए लंदन रवाना हो गईं. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का कहना है कि उनकी नेता की यात्रा मेडिकल कारणों से हो रही है और इसके राजनीतिक मायने नहीं निकाले जाए. हालांकि राजनीतिक उथल पुथल के दौर में जिया की विदेश यात्रा कई सवाल खड़ी करती है. सबसे अहम बात यह है कि देश की राजनीति पर कई दशकों तक हावी रहीं दो शीर्ष नेता अब विदेश में है.

पूर्व पीएम और आवामी लीग की अध्यक्ष शेख हसीना को पिछले साल अगस्त में छात्र आंदोलन से उभरे आक्रोश के बाद सत्ता छोड़कर भारत भागना पड़ा था.
खालिदा जिया को शेख हसीना सरकार में 17 साल की सजा मिली
इसके बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया जो फिलहाल देश का सत्ता संभाल रही है. जिया को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन के दौरान भ्रष्टाचार के दो मामलों के कारण 17 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. भ्रष्टाचार के ये दोनों कथित मामले उस वक्त के थे जब जिया 2001-2006 के दौरान प्रधानमंत्री थीं. उनके समर्थकों का दावा है कि आरोप राजनीति से प्रेरित थे, हालांकि हसीना सरकार इससे इनकार करती आई. यूनुस के शासन में, जिया को नवंबर में एक मामले में बरी कर दिया गया था, और दूसरे मामले की अपील पर मंगलवार को सुनवाई हो रही थी.
खालिदा के देश छोड़ने पर मचा बवाल?
अंतरिम सरकार इस वर्ष दिसंबर में या 2026 की पहली छमाही में चुनाव कराने की योजना बना रही है. जिया और हसीना के देश में नहीं होने का सबसे अधिक असर उनकी पार्टियों की चुनावी तैयारियों पर पड़ेगा. निकट भविष्य में शेख हसीना की वतन वापसी मुश्किल दिख रही है. वहीं खालिदा जिया की वापसी देश की राजनीति में बड़ा उल्टफेर ला सकती हैं लेकिन सबकुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि वह कब स्वदेश लौटती हैं. ऐसा माना जाता है कि युनूस सरकार खालिदा जिया और उनकी पार्टी के प्रति नरम रुख अपना रही है. बीएनपी पारंपरिक रूप से पाकिस्तान समर्थक रही है. उसे आवामी लीग के मुकाबले अधिक सांप्रदायिक विचारधारा वाली पार्टी माना जाता रहा है. यूनुस सरकार भी इस्लामाबाद के साथ लगातार संबंध सुधारने में लगी है.

बांग्लादेश में कट्टरवादी ताकतें बढ़ीं
अंतरिम सरकार के वजूद में आने के बाद से देश में कट्टरवादी ताकतों को मजबूती मिली है. अल्पसंख्यक समुदायों और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है. सरकार पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव बरतने के आरोप लग रहे हैं. क्या इस घोर सांप्रदायिक युग में पुरानी पार्टियां प्रासंगिक बन गई हैं. राजनीतिक रूप से संवेदनशील समय में दो पूर्व पीएम का देश में नहीं होना क्या इस बात का संकेत है कि बांग्लादेश अब नए राजनीतिक युग में प्रवेश कर रहा है. पुरानी पार्टियों के लिए आने वाला दौर काफी चुनौतिपूर्ण साबित हो सकता है.
एअर एंबुलेंस से लंदन गईं जिया
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया मंगलवार देर रात एयर एंबुलेंस से इलाज के लिए लंदन रवाना हुईं. उनके सलाहकार जहीरुद्दीन स्वपन ने बताया कि जिया बीती देर रात हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से एयर एंबुलेंस से लंदन के लिए रवाना हुई हैं. पूर्व पीएम के सलाहकार ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद बिन खलीफा अल थानी ने उनके लिए विशेष एयर एंबुलेंस भेजी थी. खालिदा जिया के डॉक्टरों के अनुसार, उन्हें लीवर सिरोसिस, दिल की बीमारी और किडनी से संबंधित समस्या है. वह बांग्लादेश की तीन बार प्रधानमंत्री रह चुकी हैं.

बांग्लादेश में हालात बदतर
बता दें कि खालिदा जिया की लंदन की यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब ढाका में काफी तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है. 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने के बाद से नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार देश की कमान संभाल रही है. जिया और हसीना बांग्लादेश में सबसे प्रभावशाली राजनीतिक नेता हैं.

बांग्लादेश की पीएम पद पर थीं खालिदा जिया
जानकारी के लिए बता दें कि जिया को हसीना के शासन में 2001-2006 के दौरान हुए दो भ्रष्टाचार मामलों में 17 साल जेल की सजा सुनाई गई थी, जब वह देश की प्रधानमंत्री थीं. हालांकि, नवंबर में हाईकोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार के एक मामले में सात साल की सजा माफ करते हुए बरी कर दिया था. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख खालिदा जिया पहली बार 1991 में देश की प्रधानमंत्री बनी थी. प्रधानमंत्री के रूप में उनका दूसरा कार्यकाल 2001 से 2006 तक चला था.

शेख हसीना की कट्टर दुश्मन
शेख हसीना की कट्टर दुश्मन मानीं जाने वाली 78 वर्षीय खालिदा जिया मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख हैं. साल 1991 में खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. उनके पति जियाउर रहमान की हत्या के बाद उनका राजनीतिक जीवन का उदय हुआ. खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में 17 साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद 2018 में जेल भेज दिया गया था

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