बांग्लादेश: शेख हसीना के खिलाफ ट्रिब्यूनल में आरोप तय, यूनुस सरकार ने गिनाए गंभीर जुर्म

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना पर अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने मानवता के खिलाफ अपराधों का गंभीर आरोप लगाया है। यह मामला जुलाई 2025 में हुए जनविद्रोह से जुड़ा है, जिसमें देशभर में हिंसा, दमन और सामूहिक हत्याओं की घटनाएँ सामने आई थीं। अभियोजन पक्ष ने रविवार, 1 जून को शेख हसीना के खिलाफ औपचारिक चार्जशीट दाखिल की। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व आईजीपी चौधरी मामून को भी सह-आरोपी बनाया गया है। यह मुकदमा बांग्लादेश टेलीविजन पर लाइव प्रसारित किया जा रहा है, जिससे इसकी पारदर्शिता बनी रहे।
आईसीटी के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने बताया कि शेख हसीना पर कम से कम पाँच गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इनमें जनविद्रोह के दौरान हुई सामूहिक हत्याओं को रोकने में विफलता, हिंसा को उकसाना, षड्यंत्र रचना और प्रशासनिक मिलीभगत शामिल हैं। जांचकर्ताओं ने हसीना की बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग, ड्रोन और हेलीकॉप्टर मूवमेंट के रिकॉर्ड, पीड़ितों के बयान और अन्य डिजिटल साक्ष्य एकत्र किए हैं। इन सबूतों के आधार पर हसीना को जनसंहार की मुख्य सूत्रधार माना गया है। हालांकि, शेख हसीना ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित और बेबुनियाद करार दिया है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि आईसीटी की स्थापना स्वयं शेख हसीना ने 2009 में की थी, जिसका उद्देश्य 1971 के युद्ध अपराधों की जांच था। अब उसी अदालत में वे खुद कटघरे में खड़ी हैं। इससे पहले 25 मई को इसी कोर्ट ने पिछली सरकार के आठ पुलिस अधिकारियों पर प्रदर्शनकारियों की हत्या के मामले में मुकदमा शुरू किया था। यह मुकदमा बांग्लादेश की राजनीति और न्याय व्यवस्था के लिए ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।