गोंडा

गोंडा में 25 माह का बदलाव: संवाद, स्वच्छता और सुशासन की नई इबारत

*प्रशासन, संवेदना और परिणाम—नेहा शर्मा के कार्यकाल ने रचा बदलाव का इतिहास*

*गोंडा 29 जुलाई 2025* – जिलाधिकारी नेहा शर्मा के 25 माह के कार्यकाल ने गोंडा जिले को सुशासन, नवाचार और मानवीय प्रशासन का ऐसा चेहरा दिया, जिसकी मिसाल पूरे प्रदेश में दी जा रही है। 12 जून 2023 को पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने प्रशासनिक शैली में संवाद, संवेदना और समाधान को केंद्र में रखा, और यही दृष्टिकोण उनके कार्यों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।

*स्वच्छता को बनाया सम्मान का विषय*

अगस्त 2023 में प्रारंभ हुआ विशेष स्वच्छता अभियान सिर्फ एक सरकारी निर्देश नहीं था, बल्कि एक जनांदोलन बन गया। नेहा शर्मा ने स्वच्छता को सामाजिक सम्मान से जोड़ा और इसमें बच्चों, युवाओं, संस्थाओं और स्वयंसेवकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की। मोहल्लों की रंगीन दीवारें, स्वच्छता गीत और श्रमदान की परंपरा—गोंडा की पहचान बन गई।

*जनसंवाद की पुनर्परिभाषा*

गोंडा में संवाद को उन्होंने प्रशासन की रीढ़ बना दिया। ‘जनता दर्शन’, ‘समाधान दिवस’, ‘ग्राम चौपाल’, ‘नगर चौपाल’ और ‘नागरिक संगम’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से उन्होंने आमजन से सीधा जुड़ाव स्थापित किया। विशेष बात यह रही कि उन्होंने जनसमस्याओं के समाधान में देरी को अस्वीकार्य माना और तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए एसडीएम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जोड़ा।

*ग्राम चौपाल से गांव-गांव संवाद*

जून 2023 से शुरू हुई वृहद ग्राम चौपालों की श्रृंखला ने सुदूर गांवों तक प्रशासन की पहुंच सुनिश्चित की। ग्राम चौपाल 3.0 तक पहुंचते-पहुंचते 40 ऐसे गांवों को चिन्हित किया गया जहां से IGRS पोर्टल पर सर्वाधिक शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। इनमें जाकर प्रत्यक्ष संवाद कर समस्याओं का समाधान किया गया।

*शहरी क्षेत्रों में नवाचार*

नगर क्षेत्रों में पहली बार ‘नगर चौपाल’ और ‘नागरिक संगम’ जैसे संवाद कार्यक्रमों के ज़रिए खुद जिलाधिकारी वार्डों में पहुंचीं। लोगों की बुनियादी समस्याएं जैसे नाली, सड़क, सफाई, स्ट्रीट लाइट जैसी समस्याओं का मौके पर ही समाधान कराया गया।

*प्रोजेक्ट वनटांगिया: उपेक्षा से मुख्यधारा तक*

नेहा शर्मा के नेतृत्व में प्रोजेक्ट वनटांगिया एक सामाजिक नवाचार बनकर उभरा। वनटांगिया गांवों में दीपोत्सव आयोजित कर उपेक्षित समुदाय को प्रशासन से जोड़ने का जो प्रयास हुआ, वह ऐतिहासिक रहा। शिक्षा, स्वास्थ्य और अधोसंरचना की सुविधाएं इन गांवों तक पहुंचीं।

*महिला सशक्तिकरण और युवाओं की भागीदारी*

‘शक्ति सारथी’, ‘शक्ति कैफे’ और ‘अरगा ब्रांड’ जैसे प्रयोगों ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में नए रास्ते खोले। वहीं युवाओं को नीति-निर्माण की प्रक्रिया से जोड़ने का प्रयास भी प्रशंसनीय रहा।

*प्रशासनिक संस्कृति में बदलाव*

नेहा शर्मा ने दंड की बजाय सुधार को प्राथमिकता दी। वर्षों से लंबित प्रमोशन प्रक्रियाओं को पूरा कर कर्मचारियों में विश्वास और ऊर्जा का संचार किया। उनका नेतृत्व यह दिखाता है कि संवेदना, संकल्प और सिस्टम जब एकसाथ चलते हैं, तो बदलाव न केवल संभव होता है बल्कि स्थायी भी होता है।

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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