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महाकुंभ 2025: आस्था के साथ अर्थव्यवस्था को भी नई रफ्तार

भारत में आयोजित होने वाला महाकुंभ सिर्फ आध्यात्मिक और धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा बढ़ावा देता है। प्रयागराज में होने वाला यह आयोजन देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है, जिससे पर्यटन, व्यापार, होटल, परिवहन और स्थानीय व्यवसायों को भारी मुनाफा होता है।

कैसे बढ़ रही है अर्थव्यवस्था?

1. पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में उछाल
महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु देश और विदेश से आते हैं, जिससे होटल, रेस्टोरेंट, गाइड सर्विस और ट्रैवल इंडस्ट्री को जबरदस्त लाभ होता है। प्रयागराज, वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों में अस्थायी बाजार भी फलते-फूलते हैं।

2. स्थानीय व्यवसायों को बूस्ट
छोटे दुकानदारों, हस्तशिल्प कारीगरों और लोकल मार्केट्स को इस आयोजन से सीधा फायदा होता है। धार्मिक वस्तुएं, कपड़े, प्रसाद और स्थानीय खानपान की मांग तेजी से बढ़ती है।

3. इन्फ्रास्ट्रक्चर और नौकरियों में बढ़ोतरी
कुंभ मेले के आयोजन के लिए सरकार बड़े पैमाने पर आधारभूत संरचना विकसित करती है, जिससे नए रोजगार सृजित होते हैं। सड़क, रेलवे, टेंट सिटी और स्वच्छता से जुड़े कार्यों से असंगठित क्षेत्र को भी आर्थिक मजबूती मिलती है।

अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के आयोजनों से भारत की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलती है। जैसे-जैसे भारत 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन इसमें अहम भूमिका निभाते हैं।

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