
धर्मेंद्र को एक्टिंग से इतना प्यार है कि वह मरते दम तक वह एक्टिंग की दुनिया में एक्टिव थे. इतना ही प्यार वह अपने परिवार से भी करते थे. अपनों का तो वह बहुत ही ध्यान रखते थे. वह अपने परिवार के लिए मर मिटने को तैयार रहते थे.
धर्मेंद्र सिर्फ अपने अपनी पत्नी और बच्चों की ही जिम्मेदारियां को नहीं उठाते थे, बल्कि अपने चाचा और भाई, भतीजों पर भी जान छिड़कते थे. उनके लिए तो वह ऐसा काम कर गए हैं कि वे लोग आज भी याद करते हैं.
धर्मेंद्र ने अपने पुरखों की जमीन भी अपने भतीजों के नाम कर दी है,ये बड़ा कदम उन्होंने इसलिए उठाया कि उनकी पूर्वजो की जो धरोहर है, वो हमेशा संभाल कर रख सकें.ऐसा काम करके उन्होंने साबित कर दिया कि वह रियल लाइफ में भी उतने ही बड़े स्टार हैं, जैसा कि हम उन्हें फिल्मों में देखा करते थे.
धर्मेंद्र ने हमेशा ये साबित किया है कि वह बड़े दिल वाले इंसान थे. चमकती दुनिया में रहकर भी उन्होंने अपने परिवार और अपनी जड़ों से कभी रिश्ता नहीं तोड़ा,अपने पैतृक गांव डांगो से उनका खास कनेक्शन रहा है. वे सिर्फ अपने परिवार ही नहीं, गांव के चाचा-भतीजों पर भी बहुत प्यार लुटाते थे
उनकी उदारता ऐसी थी कि उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन का बड़ा हिस्सा अपने भतीजों के नाम कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक धर्मेंद्र के पिता उन्हें हमेशा कहते थे कि यह जमीन हमारे पुरखों की अमानत है, इसे संभालकर रखना. धर्मेंद्र ने पिता की ये बात हमेशा दिल में रखी.
यह सिर्फ एक घर नहीं, बल्कि देओल परिवार की विरासत है. धर्मेंद्र, सनी देओल, बॉबी देओल और नई पीढ़ी तक- सभी एक साथ इसी बंगले में रहते हैं, जो इसकी पारिवारिक पहचान को और मजबूत बनाता है.
बूटा सिंह ने इस बात का भी खुलासा किया कि धर्मेंद्र को घर की बनी चीजों से बहुत प्यार था. उनकी चाची प्रीतम कौर भी गांव में रहती हैं. परिवार के लोग बताते हैं कि मुंबई में रहने के बाद भी धर्मेंद्र उन चीजों को नहीं भूले थे.
उनके दादा जी अक्सर जब कभी भी मुंबई जाया करते थे तो वह घर का बना खोया, बर्फी और सरसों का साग धर्मेंद्र के लिए लेकर जाया करते थे. धर्मेंद्र बड़े चाव से खाते थे. 2013 में जब धर्मेंद्र अपने गांव गए थे , फूट-फूटकर रोए थे.



