राष्ट्रीय

अमेरिका के स्टील-एल्यूमिनियम टैरिफ का भारत ने दिया करारा जवाब, WTO में टैरिफ लगाने का प्रस्ताव पेश

नई दिल्ली, 13 मई 2025

भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए स्टील और एल्यूमिनियम आयात पर भारी टैरिफ के खिलाफ अब आवाज़ बुलंद कर दी है। सोमवार को भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में एक आधिकारिक प्रस्ताव रखते हुए अमेरिका से आने वाले सामानों पर जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह कदम ‘जैसे को तैसा’ नीति की ओर इशारा करता है, जहां भारत ने अमेरिका से होने वाले व्यापार नुकसान की भरपाई समान टैरिफ के ज़रिए करने की बात कही है।

WTO में भारत का स्पष्ट रुख

भारत ने WTO में साफ कहा है कि अमेरिका द्वारा स्टील और एल्यूमिनियम पर लगाए गए सुरक्षा उपाय GATT 1994 और समझौता अनुच्छेद (AoS) के अनुरूप नहीं हैं। भारत ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका ने इन उपायों को WTO को सूचित नहीं किया और न ही किसी तरह की सलाह-मशविरा प्रक्रिया अपनाई। इसलिए भारत अब अनुच्छेद 8, AoS के तहत अमेरिका को दी जा रही रियायतों को निलंबित करने और जवाबी टैरिफ लगाने का अधिकार सुरक्षित रखता है।

कितना है व्यापारिक नुकसान?

WTO के मुताबिक, अमेरिकी टैरिफ के चलते भारत से करीब 7.6 अरब डॉलर के सामान का निर्यात प्रभावित हुआ है, जिससे 1.91 अरब डॉलर की टैरिफ लागत बनी है। अब भारत ने इसी के बराबर जवाबी टैरिफ लगाने की तैयारी की है। बताया जा रहा है कि भारत ने जिन 29 वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है, उनमें सेब, बादाम, अखरोट, नाशपाती, रसायन, मोटर पार्ट्स जैसे प्रमुख अमेरिकी उत्पाद शामिल हैं।

क्यों ज़रूरी हो गया यह कदम?

दरअसल, मार्च 2025 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में सभी देशों से आने वाले स्टील और एल्यूमिनियम उत्पादों पर 25% टैरिफ लगा दिया गया था। अमेरिका का दावा था कि इससे उनकी घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन इस फैसले से भारत जैसे साझेदार देशों को भारी झटका लगा। जहां यूरोपीय यूनियन और कनाडा जैसे देश पहले ही अमेरिका को जवाबी टैरिफ लगाकर चेतावनी दे चुके हैं, वहीं अब भारत ने भी WTO के मंच से अपने नुकसान का हिसाब मांग लिया है।

भारत पर क्या पड़ा असर?

भारत अमेरिका को भारी मात्रा में स्टील और एल्यूमिनियम निर्यात करता है। 2023 में भारत ने अमेरिका को 4 अरब डॉलर का स्टील और 1.1 अरब डॉलर का एल्यूमिनियम भेजा था। जनवरी 2024 में भारत और अमेरिका के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत 3.36 लाख टन तक स्टील और एल्यूमिनियम बिना टैरिफ के व्यापार का रास्ता खुला था। लेकिन अब ट्रंप के नए फैसले के बाद इस समझौते की प्रासंगिकता खत्म होती दिख रही है। अमेरिकी बाज़ार में स्टील और एल्यूमिनियम की लागत बढ़ने से आयात घटेगा और भारत को अरबों का संभावित नुकसान हो सकता है।

जनता और कारोबारियों की नजर

भारत के इस प्रस्ताव ने देश के कारोबारियों और उद्योग संगठनों को राहत की उम्मीद दी है। खासतौर पर उन व्यापारियों को जो अमेरिका से जुड़े निर्यात पर निर्भर हैं। दूसरी तरफ, अमेरिकी कंपनियां भी भारत के संभावित टैरिफ से प्रभावित होंगी, खासकर खाद्य और रासायनिक उत्पादों के क्षेत्र में। WTO में भारत के प्रस्ताव के बाद अब दोनों देशों के बीच फिर से परामर्श की संभावना बन सकती है। भारत ने जहां कड़ा रुख अपनाया है, वहीं वह वैश्विक मंच पर नियमों के तहत अपनी बात मजबूती से रख रहा है।

भारत का यह कदम न केवल व्यापारिक आत्मसम्मान का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि वैश्विक मंचों पर भारत अब मूकदर्शक नहीं, बल्कि सक्रिय और संतुलित रणनीति अपनाने वाला राष्ट्र बन चुका है। आने वाले समय में इस मुद्दे पर अमेरिका की प्रतिक्रिया और WTO की भूमिका दोनों पर निगाहें टिकी रहेंगी।

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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