S-400, Su-57…डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाने में मगन, उधर PM मोदी के दूत अजित डोभाल रूस में कर रहे बड़ा खेल

डोनाल्ड ट्रंप आजकल उन देशों पर आगबबूला हैं, जिनका रूस के साथ ट्रेड रिलेशंस हैं. मॉस्को से एनर्जी इंपोर्ट करने वाले देशों पर ताबड़तोड टैरिफ लगाने का ऐलान किया जा रहा है. भारत पर कुल मिलाकर 50 फीसद टैरिफ लगाने का ऐलान किया जा चुका है. भारतीय सामान पर 25 प्रतिशत का टैरिफ 7 अगस्त 2025 से प्रभावी भी हो चुका है. अगला 25 फीसद टैरिफ 27 अगस्त से लगने वाला है. ट्रंप टैरिफ पर ग्लोबल लेवल पर मचे उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे विश्वस्त दूत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहार (NSA) अजित डोभाल रूस की यात्रा पर हैं. बताया जा रहा है कि S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त खेप खरीदने पर अहम बात हो सकती है.इसके अलावा पांचवीं पीढ़ी के Su-57 फाइटर जेट की खरीद पर भी बातचीत होने की संभावना है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदले हालात में भारत ने 5th जेनरेशन फाइटर जेट पर अपना फोकस बढ़ा दिया है. देसी तकनीक से पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान डेवलप करने के लिए AMCA प्रोजेक्ट लॉन्च किया जा चुका है, पर फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिए अन्य देश से 5th जेनरेशन फाइटर जेट खरीदने पर भी विचार चल रहा है. अमेरिकी पांचवीं पीढ़ी के एफ-35 को खरीदने से भारत पहले ही इनकार कर चुका है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-रूस के बीच मजबूत होते रिश्तों पर नाराजगी जताए जाने के बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल की मॉस्को यात्रा रणनीतिक और सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. बुधवार को शुरू हुई यह यात्रा केवल रक्षा सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें औद्योगिक और ऊर्जा संबंधों को भी नई दिशा देने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. डोभाल की इस यात्रा का प्रमुख फोकस भारत और रूस के बीच रक्षा संबंधों को विस्तार देना है. इस दौरान दोनों देशों के बीच रूस के अत्याधुनिक S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त खरीद पर बातचीत हो सकती है.
The Economic Times’ की रिपोर्ट के मुताबिक, एजेंडे में एस-400 की मरम्मत और रखरखाव (MRO) सुविधाएं भारत में स्थापित करने पर बातचीत भी शामिल है.
Su-57 फाइटर जेट पर डील संभव
भारत की रूस निर्मित पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान Su-57 में रुचि को लेकर भी अहम चर्चा की उम्मीद है. यह बातचीत ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका लगातार भारत पर रूस के साथ रक्षा और ऊर्जा संबंध सीमित करने का दबाव बना रहा है. ट्रंप सरकार ने बुधवार को भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ भी लागू कर दिया है, जिसे विशेषज्ञ अमेरिका की असहमति का सीधा संकेत मान रहे हैं. बता दें कि पाकिस्तान द्वारा अपने यार चीन से पांचवीं पीढ़ी का जेट खरीदने की रिपोर्ट सामने आने के बाद भारत के लिए स्टील्थ फाइटर जेट हासिल करना जरूरी हो गया है.
ऑपरेशन सिंदूर में एस-400 की अहम भूमिका
NSA डोभाल की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब हालिया सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य क्षमताओं की नई मिसाल पेश की है. बताया जाता है कि इस अभियान में पाकिस्तान और PoK स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए, जिसमें रूस निर्मित S-400 मिसाइल सिस्टम की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही. यह ऑपरेशन उस आतंकी हमले के बाद हुआ था, जिसमें पहलगाम में 26 लोगों की जान गई थी. इस सैन्य कार्रवाई के दौरान भारत-रूस की ज्वाइंट प्रोजेक्ट ब्रह्मोस मिसाइल ने भी अहम भूमिका निभाई, जिससे पाकिस्तानी सेना में खलबली मच गई थी. इस पृष्ठभूमि में भारत का रूस के साथ रणनीतिक रक्षा साझेदारी को और गहरा करना स्वाभाविक माना जा रहा है.
ऊर्जा और तेल आपूर्ति पर भी बातचीत
रक्षा क्षेत्र के अलावा ऊर्जा आपूर्ति भी इस यात्रा का प्रमुख बिंदु है. रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले पर अमेरिका पहले से ही आपत्ति जता चुका है. खासतौर से यूक्रेन युद्ध के बाद. डोभाल की इस यात्रा से पहले रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने रूस के उप रक्षा मंत्री कर्नल-जनरल अलेक्जेंडर फोमिन से मुलाकात की, जिससे संकेत मिलता है कि यह दौरा पहले से ही हाई-लेवल पर कोऑर्डिनेटेड है. रिपोर्ट्स के अनुसार, NSA डोभाल की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात भी प्रस्तावित है. दिलचस्प बात यह है कि डोभाल की यात्रा के समय ही ट्रंप के विशेष दूत स्टीवन विटकॉफ भी मॉस्को में मौजूद हैं. यह इस साल उनकी रूस की पांचवीं यात्रा है, जो अमेरिकी कूटनीतिकगतिविधियों की तीव्रता को दर्शाती है. अमेरिका भारत-रूस संबंधों को सीमित करने के प्रयास में अपने विशेष दूतों और आर्थिक दबाव दोनों का इस्तेमाल कर रहा है.