F-35, Su-57 या AMCA… कौन सा 5th जेन फाइटर जेट भारत के लिए बेस्ट, किससे IAF लगाएगा लंबी छलांग?

भारत के पास अभी 5th जेन फाइटर जेट नहीं है. मगर बहुत जल्द यह होगा. भारत का 5th जेन फाइटर जेट यानी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान कौन सा होगा? इस पर कई महीनों से अटकलें चल रही हैं क्योंकि देश जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच अपने विकल्पों का विचार कर रहा है.
स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के ऑपरेशन के लिए तैयार होने में अभी भी सालों का समय है. इसलिए उम्मीदें विदेशी निर्माताओं से संभावित खरीद की ओर बढ़ रही हैं. व्यावहारिक रूप से अभी दो विकल्प उपलब्ध हैं: अमेरिकी फाइटर जेट F-35 लाइटनिंग II और रूस का Su-57 फेलॉन. हालांकि, एफ 35 5th जेन फाइटर जेट या Su-57 फाइटर जेट… इनमें से कौन भारत सरकार की पहली पसंद होगी, इस पर किसी ने कोई संकेत नहीं दिया है.
भारत और अमेरिका के बीच हालिया घटनाक्रमों के बीच रिपोर्टों से पता चलता है कि भारत ने F-35 पर अपने फैसले से अमेरिका को अवगत करा दिया है. हालांकि, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने हाल ही में संसद में स्पष्ट किया कि F-35 से संबंधित इस मुद्दे पर अभी तक कोई ठोस औपचारिक चर्चा नहीं हुई है. उन्होंने फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक के बाद जारी भारत-अमेरिका संयुक्त बयान का हवाला दिया. जिसमें अमेरिका ‘भारत को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (जैसे F-35) और अंडरसी सिस्टम जारी करने की अपनी नीति की समीक्षा’ करने पर सहमत हुआ था. हालांकि, यह केवल एक नीति समीक्षा थी. और दोनों देशों के बीच कोई प्रस्ताव या बातचीत शुरू नहीं हुई है.
अमेरिका की ओर से संभावित रूप से पांचवीं पीढ़ी के F-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स की आपूर्ति का प्रस्ताव शुरू से ही सुर्खियां बटोरने वाला रहा है, लेकिन भारत के रक्षा इकोसिस्टम, तकनीकी वास्तविकताओं और स्वदेशी महत्वाकांक्षाओं के विश्लेषण से पता चलता है कि इस सौदे के जल्द ही साकार होने की संभावना नहीं है.
मौजूदा परिदृश्य पर कार्नेगी इंडिया में सुरक्षा अध्ययन के फेलो दिनाकर पेरी ने कहा, ‘हालांकि पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की कमी भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए एक बड़ी कमी साबित होगी, लेकिन कम संख्या में FGFA का आयात करना एक कठिन विकल्प है. स्वदेशी AMCA का विकास अभी शुरू ही हुआ है और इसमें लगभग एक दशक का समय लगेगा. एक और अंतरिम खरीद महत्वपूर्ण कार्यक्रम से संसाधन और समय दूर ले जा सकती है.’
एफ-35 क्यों नहीं?
भारतीय वायु सेना मौजूदा वक्त में विभिन्न प्रकार के लड़ाकू विमानों को ऑपरेट करती है. इनमें रूसी निर्मित Su-30MKI, फ्रांसीसी राफेल, स्वदेशी तेजस, मिराज 2000 और जगुआर शामिल हैं. पिछले कुछ सालों में भारत ने इन लड़ाकू विमानों के लिए एक ऐसा इकोसिस्टम यानी तंत्र विकसित किया है, जो वांछित एकीकरण, अंतर-संचालन, विशेषज्ञ चालक दल की उपलब्धता और रखरखाव सुविधाओं के मामले में लाभ प्रदान करता है.
भारतीय वायु सेना के एक सीनियर फाइटर जेट के पायलट ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘जब एक फाइटर जेट का चयन किया जाता है, तो यह केवल एक प्लेटफॉर्म प्राप्त करने के बारे में नहीं है, जो उड़ सकता है. आपको इसके ऑपरेशनल यानी संचालन की जरूरतों के साथ इसकी कॉम्पैटिबिलिटी यानी संगतता पर विचार करना होगा- चाहे वह मौजूदा सिस्टम के साथ एकीकृत हो सके, अन्य प्लेटफॉर्म के साथ प्रभावी ढंग से संवाद कर सके, और आपके वर्तमान हथियारों और बुनियादी ढांचे का समर्थन कर सके. F-35 एक पूरी तरह से नया पारिस्थितिकी तंत्र पेश करता है, जिसमें मुख्य रूप से अमेरिकी सिस्टम होते हैं. यह हमारी फ्लेक्सिबिलिटी यानी लचीलेपन को सीमित कर सकते हैं और मौजूदा सिस्टम के लिए चुनौतियां पैदा कर सकते हैं.’
दिनाकर पेरी ने कहा, ‘F-35 स्टील्थ और सैन्य विमानन अत्याधुनिक तकनीक है. हालांकि, इसका यह मतलब नहीं कि कई कारणों से यह भारत के लिए सबसे अच्छा विकल्प है. भारत के पास अमेरिकी लड़ाकू विमान प्रणाली नहीं है और इस प्रक्रिया से गुजरने में काफी लंबा समय लगेगा.’
उन्होंने आगे कहा, ‘एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अमेरिका F35 को भारत के सैन्य प्रणाली में कितना एकीकृत करना चाहता है, जिसमें SU-30MKI, S-400 वायु रक्षा प्रणाली जैसी उच्च-स्तरीय रूसी प्रणालियां, और फ्रांसीसी और इजराइली प्रणालियां भी शामिल हैं. निर्बाध एकीकरण के बिना F35 न तो वह प्रभावी प्लेटफॉर्म बन सकता है, जैसका इसकी परिकल्पना की गई है, और न ही इस विमान का अपनी पूरी क्षमता का उपयोग किया जा सकता है.’
एस-57 भी एक विकल्प
F-35 से जुड़ी परिस्थितियों को देखते हुए कई लोग रूसी Su-57 को एक व्यवहार्य विकल्प मानते हैं. हालांकि, इस विकल्प की अपनी चुनौतियां भी हैं. प्रतिबंधों और राजनीतिक दबाव के डर के साथ-साथ, पर्याप्त कारण हैं कि डिलीवरी में देरी होगी. और जेट अपने उद्देश्य को पूरी तरह से पूरा नहीं कर सकता है.
हालांकि, Su-57 टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और आसान एकीकरण जैसे लाभ प्रदान करता है, लेकिन भारत के मौजूदा रूसी विमान पारिस्थितिकी तंत्र को देखते हुए इसके मुद्दे- उत्पादन में देरी, प्रतिबंधों के जोखिम, पिछली तकनीकी चिंताएं, भुगतान बाधाएं, और संरेखण जटिलताएं- चुनौतियां लाते हैं.
AMCA का इंतजार
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मंजूरी के बाद सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियां भारत के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) कार्यक्रम को अंजाम देने के लिए सहयोग कर सकती हैं. जबकि डेवलपमेंट तेजी से प्रगति कर रहा है. प्रोटोटाइप 2027-28 से पहले अपेक्षित नहीं है. DRDO अधिकारियों ने संकेत दिया है कि विमान का शामिल होना संभवतः 2036 से पहले नहीं होगा. यह समय-सीमा भारतीय वायु सेना में लड़ाकू विमानों की मौजूदा कमी को और बढ़ा देती है. इसलिए विशेषज्ञ AMCA के चालू होने तक इस कमी को पूरा करने के लिए 4th Generation Plus यानी चौथी पीढ़ी के प्लस (4Gen+) विमानों को शामिल करने का सुझाव दे रहे हैं.
पेरी ने समाधान के बारे में बताया, ‘आज भारतीय वायुसेना में असली संकट चौथी पीढ़ी से ऊपर के लड़ाकू विमानों की कमी है. और यह संख्या और भी कम होने वाली है. प्राथमिक ध्यान एलसीए (LCA) और एमआरएफए (MRFA) के उत्पादन को बढ़ाने पर होना चाहिए, जो इस समस्या का समाधान करने के लिए हैं.’
IAF यानी भारतीय वायुसेना वर्तमान में 42.5 स्क्वाड्रनों की स्वीकृत ताकत के मुकाबले 30-31 स्क्वाड्रनों का संचालन करती है. जबकि उम्मीदें थीं कि LCA Mk1A और Mk2 इस अंतर को पाटने में मदद करेंगे. उनकी डिलीवरी में देरी ने प्रगति को बाधित किया है. चीन और पाकिस्तान जैसे शत्रुओं द्वारा अपने विमानों के उत्पादन और शामिल करने में तेजी लाने के साथ भू-राजनीतिक परिदृश्य इस कमी को दूर करने की तत्काल जरूरत को बढ़ा रहा है, जिस पर विशेषज्ञों का मानना है कि ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है.