खाद की लाइन में लात, अफसर की तस्वीर में बात!

*अयोध्या*
*कलम के कांटे से*
*अयोध्या में इन दिनों यूरिया से ज़्यादा कृषि अधिकारी की मुस्कान बंट रही है।* कैमरा सामने आते ही *वो किसान की बाइक पर खुद बोरी उठाते हैं* — *जैसे खेत नहीं, फोटोशूट में खाद डाल रहे हों।*
एक तरफ अधिकारी बोले, “खाद भरपूर है!”, दूसरी तरफ किसान बोले, “हम भरपूर पिट चुके हैं!”
*तारुन में हाल ये हो गया कि किसान नंबर लगाने के चक्कर में खेत जोतने से पहले एक-दूसरे को जोतने लगे।* प्रशासन कह रहा है – “स्थिति नियंत्रण में है”, हां, क्योंकि *अब लाइन में खड़े होने की बजाय किसान सीधे गिरने लगे हैं।*
सबसे मजेदार बात?
बाहरी गांव के लोग खाद लेने आ रहे हैं, *यानी खाद वितरण नहीं, खाद पर्यटन शुरू हो चुका है!*
अब *अफसर साहब अगली फोटो में शायद किसानों को यूरिया नहीं, फर्स्ट एड किट बांटते नजर आएं।*
क्योंकि जहां व्यवस्था दम तोड़ दे, *वहां मार-पीट ही ‘नई नीति’ बन जाती है!*