तालिबान नहीं तोड़ पा रहा अफगान लड़कियों का जज्बा, सीक्रेट क्लासरूम में सीख रहीं कंप्यूटर प्रोग्रामिंग

तालिबान के कठोर प्रतिबंधों ने अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के रास्ते लगभग बंद कर दिए हैं. पार्क में जाना, रेस्टोरेंट में खाना या दफ्तर में काम करना- हर जगह पाबंदी. लेकिन इसी अंधेरे में एक उम्मीद की रोशनी जगी है, जिसने कई युवतियों के लिए सपनों के दरवाजे खोल दिए हैं. 24 साल की फार्माकोलॉजी छात्रा सोदाबा की कहानी इस बदलाव की गवाही देती है. तालिबान के आदेश से स्कूल-कॉलेज बंद हुए तो उसने ऑनलाइन पढ़ाई का रास्ता चुना. इंटरनेट के जरिये वह ऐसे कोर्स से जुड़ी, जिसने उसका भविष्य ही बदल दिया- दारी भाषा में पढ़ाया जाने वाला मुफ्त कंप्यूटर कोडिंग कोर्स.
यह पाठ्यक्रम यूनान में रहने वाले अफगान शरणार्थी मुरतजा जाफरी ने शुरू किया था. सोदाबा ने कहा, ‘मेरा मानना है कि इंसान को परिस्थितियों से हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि हर संभव तरीके से अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए.’ उन्होंने वेबसाइट विकास और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखना शुरू किया.
कंप्यूटर कोडिंग ऐसे सीखी
उन्होंने कहा, ‘इन कौशलों से मुझे आत्मविश्वास और अपने भविष्य की दिशा में स्पष्टता मिली.’ सुरक्षा कारणों से उन्होंने केवल अपना पहला नाम ही बताया. यह पाठ्यक्रम अफगान गीक्स नामक कंपनी की ओर से संचालित किया जा रहा है, जिसकी स्थापना 25 वर्षीय मुरतज़ा जाफरी ने की थी. वह किशोरावस्था में तुर्किये से नाव के जरिए यूनान पहुंचे थे. खुद जाफरी कहते हैं, ‘एक समय मुझे कुछ नहीं आता था… एकदम शून्य था मैं.’ जाफरी ने बताया कि नाव में बैठकर यूनान पहुंचने के बाद एथेंस में एक शरणार्थी शिविर में रहते हुए उन्हें एक शिक्षक की मदद से कंप्यूटर कोडिंग पाठ्यक्रम में दाखिला मिला. उन्हें कंप्यूटर के बारे में कुछ नहीं पता था, न इसे चालू करना आता था, न कोडिंग के बारे में जानकारी थी, और न ही अंग्रेज़ी आती थी, जो इस क्षेत्र में आवश्यक है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे अंग्रेज़ी का कोई अंदाज़ा नहीं था, एकदम शून्य… और मैं उसी समय यूनानी भाषा, अंग्रेज़ी और कंप्यूटर सीखने की कोशिश कर रहा था. यह मेरे लिए बेहद कठिन था.’ लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कुछ ही महीनों में उन्होंने अपना सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया. कोडिंग ने उनके लिए एक नई दुनिया के दरवाज़े खोले. कुछ वर्षों पहले उन्होंने अपनी कंपनी ‘अफगान गीक्स’ की स्थापना की. जाफरी ने बताया कि उन्होंने पिछले साल दिसंबर से अफगान महिलाओं के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किए, ताकि उन्हें वही सहायता मिल सके जो कभी उन्होंने एक अजनबी देश में अकेले रहने के दौरान पाई थी.
जाफरी का किसी ने नहीं देखा चेहरा
उन्होंने कहा, ‘इसका मुख्य उद्देश्य समुदाय को कुछ लौटाना था, विशेषकर अफगान महिलाओं को, जो मैंने नि:शुल्क प्राप्त किया था.’ वर्तमान में जाफरी के तीन स्तरों प्रारंभिक, मध्यवर्ती और उन्नत पर पाठ्यक्रम चलते हैं जिनमें 28 महिला अभ्यर्थी पढ़ती हैं. वह न केवल उन्हें कोडिंग सिखाते हैं, बल्कि ऑनलाइन इंटर्नशिप और नौकरियां ढूंढने में भी मार्गदर्शन करते हैं. जाफरी ने बताया कि सबसे कुशल छात्राएं उनकी टीम का हिस्सा बनती हैं. ‘अफगान गीक्स’ वेबसाइट विकास और चैटबॉट निर्माण जैसी सेवाएं भी प्रदान करता है. उनके क्लाइंट्स अफगानिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप से हैं.
उन्होंने कहा, ‘इन क्लाइंट्स को इस बात से खुशी होती है कि वे एक सार्थक उद्देश्य में योगदान दे रहे हैं, महिलाओं का समर्थन करने में.’ दिलचस्प बात यह है कि पिछले सात महीने से अपनी छात्राओं को पढ़ा रहे जाफरी ने आज तक किसी का चेहरा नहीं देखा. वे बताते हैं, ‘मैं उनसे हाल-चाल पूछता हूं, अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में जानता हूं, लेकिन कभी भी कैमरा चालू करने या तस्वीर साझा करने को नहीं कहता. मैं उनकी संस्कृति और पसंद का सम्मान करता हूं.’