पहले मुनीर को हलाल, अब तेल वाली चाल… अमेरिका पाकिस्तान पर यूं ही मेहरबान नहीं, समझिए ट्रंप का शातिर प्लान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ एक ऐतिहासिक तेल भंडार विकास समझौते की घोषणा की है, जिसके तहत दोनों देश मिलकर पाकिस्तान के विशाल तेल और गैस भंडारों का दोहन करेंगे. यह समझौता ट्रंप के उस कदम के बाद हुआ जब उन्होंने भारत पर 25% टैरिफ लगाया है. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने यह कदम यूं ही नहीं उठाए हैं, बल्कि बेहद सोची समझी चाल है. ट्रंप का यह फैसला केवल अमेरिका के आर्थिक हितों को साधने का प्रयास ही नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय भू-राजनीति में कई निशाने साधने की रणनीति भी है. इस समझौते और टैरिफ के पीछे ट्रंप की रणनीति क्या है, और यह कैसे भारत, पाकिस्तान, और चीन के साथ संबंधों को प्रभावित करेगा?
पाकिस्तान अमेरिका का तेल समझौता क्या है?
ट्रंप ने बुधवार को अपने Truth Social पर ऐलान किया कि अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर पाकिस्तान के ‘विशाल तेल भंडार’ को बाहर लाएंगे. 2024 में खोजे गए ऑफशोर तेल और गैस भंडार, जिन्हें दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार माना जा रहा है, अब ट्रंप की नजर में हैं. उनके मन में साफ है- ‘पाकिस्तान के पास 6-8 ट्रिलियन डॉलर का खजाना है- तेल, गैस, तांबा, सोना, कोयला और वह इसे अमेरिका के लिए हथियाने जा रहे हैं.’ इस डील में एक अमेरिकी तेल कंपनी इस प्रोजेक्ट को लीड करेगी. कंपनी कौन सी होगी, उसका नाम जल्द ही आएगा.
पाकिस्तान को क्या मिलेगा? पाकिस्तान की सीमित तकनीकी और वित्तीय क्षमता के कारण तेल नहीं निकल पा रहा है. ऐसे में उसकी मदद अमेरिका करेगा. पाकिस्तान अपनी 85% तेल और 29% गैस जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, लेकिन अमेरिका की मदद से पाकिस्तान अपने भंडारों से कमाई करेगा. अमेरिका को पाकिस्तान के विशाल संसाधनों (जिनका मूल्य 6-8 ट्रिलियन USD अनुमानित है) तक पहुंच मिलेगी, जिससे वह वैश्विक ऊर्जा बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करेगा. साथ ही, यह यूक्रेन के खनिजों पर कब्जे के बाद अमेरिका की रणनीति का हिस्सा है, जहां वह वैश्विक खनिज और ऊर्जा संसाधनों पर नियंत्रण चाहता है.
पाकिस्तान को खुश करने के लिए भारत पर टैरिफ!
ट्रंप ने 1 अगस्त 2025 से भारत पर 25% टैरिफ की घोषणा की. इस कदम को उन्होंने BRICS और अमेरिका के साथ भारत के $34 बिलियन (2024) के व्यापार घाटे से जोड़ा. ट्रंप ने BRICS को ‘अमेरिका विरोधी’ समूह करार दिया और भारत की इसमें सदस्यता पर निशाना साधा. टैरिफ का मकसद भारत को एक नई ट्रेड डील के लिए मजबूर करना है, जो अमेरिका के हितों के अनुकूल हो. लेकिन इसके साथ ही लग रहा है कि ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाकर पाकिस्तान को भी खुश किया है, जिसे एक कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा सकता है. इसके बदले में, पाकिस्तान ने तेल समझौते पर सहमति दी. लेकिन इसकी नींव भी जून 2025 में रखी गई थी. तब ट्रंप ने जनरल असीम मुनीर को हलाल भोज पर बुलाया खा, वहीं 26 जुलाई को पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार ने मार्को रुबियो के साथ मुलाकात भी की थी.
चीन पर ऐसे साधेगा निशाना?
चीन चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के तहत पाकिस्तान में $65 बिलियन से अधिक का निवेश कर चुका है, जिसमें ग्वादर में तेल रिफाइनरी और गैस पाइपलाइन में अरबों डॉलर का निवेश शामिल है. यह पाकिस्तान को चीन का रणनीतिक साझेदार बनाता है, और पाकिस्तान चीन से JF-17 फाइटर जेट्स, नेवी जहाज, और अन्य हथियारों की बड़ी खेप खरीद रहा है. पाकिस्तान से अमेरिका की चाहे जितनी दोस्ती हो, लेकिन वह इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता. ट्रंप तेल समझौते के जरिए पाकिस्तान को चीन के पाले में पूरी तरह जाने से रोकना चाहते हैं. तेल और खनिज भंडारों पर अमेरिकी नियंत्रण चीन के प्रभाव को संतुलित करेगा, विशेष रूप से ग्वादर पोर्ट जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में.
ट्रंप का असल लक्ष्य
डोनाल्ड ट्रंप की नीति स्पष्ट रूप से ‘America First’ पर आधारित है. वह भारत पर टैरिफ और पाकिस्तान के साथ तेल समझौते के जरिए कई लक्ष्य साध रहे हैं. लेकिन हर हाल में उनका लक्ष्य अमेरिका पहले की नीति है और वह अपने हर एक्शन से अमेरिका को फायदा दिलाने में लगे हैं. अगर वह पाकिस्तान से डील कर रहे हैं तो यह सीधे तौर पर अमेरिका को फायदा पहुंचाने के लिए है.