पाकिस्तान ने आखिर क्यों चुना यह नाम, इसके पीछे क्या थी साजिश? Kargil Diwas पर समझें पूरी कहानी

करीब 26 साल पहले आज के ही दिन यानी 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत का आधिकारिक ऐलान किया गया था. 1999 में आज के ही दिन भारतीय सेना के जांबाजों ने घुसपैठियों के भेष में आई पाकिस्तानी सेना को कारगिल की ऊंची चोटियों से खदेड़कर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी. इस युद्ध में पाकिस्तान ने अपने सैन्य अभियान को ‘ऑपरेशन बद्र’ का नाम दिया था. आखिर क्यों चुना गया यह नाम और इसके पीछे पाकिस्तान की क्या साजिश थी?
दरअसल, ‘ऑपरेशन बद्र’ का नाम इस्लामिक इतिहास से प्रेरित था. यह नाम 624 ईस्वी में हुई ‘बद्र की जंग’ से लिया गया था, जो पैगंबर मुहम्मद की अगुवाई में लड़ी गई थी. इस युद्ध में मुस्लिम लड़ाकों ने मक्का के कुरैश कबीलों पर जीत हासिल की थी, जिसे इस्लामिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक घटना माना जाता है. पाकिस्तान ने इस नाम को चुनकर अपनी सेना और समर्थकों में जोश भरने की कोशिश की थी. साथ ही, यह नाम कश्मीर के मुद्दे को धार्मिक रंग देकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर ध्यान खींचने का भी एक प्रयास था.
पाकिस्तान की साजिश और कारगिल पर कब्जे की साजिश
1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसमें दोनों देशों ने कश्मीर मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का वादा किया था. लेकिन इसके बावजूद, पाकिस्तानी सेना ने गुपचुप तरीके से कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा करने की साजिश रची. इस अभियान को ‘ऑपरेशन बद्र’ नाम दिया गया. इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना था. पाकिस्तान चाहता था कि भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाया जाए और कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उछाला जाए.
पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए अपनी सेना की घुसपैठ जम्मू और कश्मीर में कराई थी. सर्दियों के दौरान, जब भारतीय सेना अपनी फॉरवर्ड पोस्ट को खाली कर देती थी, पाकिस्तानी सैनिकों ने इन खाली पोस्ट पर कब्जा कर लिया. उनकी साजिश थी कि ऊंची चोटियों पर कब्जा करके वे भारतीय सेना पर रणनीतिक बढ़त हासिल कर लें. साथ ही, वे श्रीनगर-लेह राजमार्ग को कंट्रोल करना चाहते थे, जो भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद अहम था.
पाकिस्तान की चाल का हुआ पर्दाफाश
पाकिस्तान ने शुरू में दावा किया कि कारगिल में घुसपैठ करने वाले केवल कश्मीरी उग्रवादी हैं, न कि उनकी सेना. लेकिन युद्ध के दौरान बरामद दस्तावेजों और पाकिस्तानी सैनिकों के शवों से यह साफ हो गया कि यह घुसपैठ पाकिस्तानी सेना की सुनियोजित साजिश थी, जिसकी अगुवाई तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने की थी. यह योजना इतनी गुप्त थी कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी इसकी पूरी जानकारी नहीं थी.
ऑपरेशन विजय से भारत ने दिया अपना जवाब
जब भारतीय सेना को 3 मई 1999 को घुसपैठ की जानकारी मिली, तो उसने तुरंत ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया. भारतीय वायुसेना ने ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ और नौसेना ने ‘ऑपरेशन तलवार’ के जरिए पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने में अहम भूमिका निभाई. भारतीय सेना के जांबाजों ने आर्टिलरी फायरिंग की मदद से एक-एक कर सभी पोस्ट को वापस हासिल किया. 26 जुलाई 1999 को भारत ने आखिरी चोटी पर भी कब्जा कर लिया और इस तरह कारगिल युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत हुई.