अंतरराष्ट्रीय

याद है न वो पल जब किसी ने छुए पैर तो कोई गले लगा…PM मोदी की 5 देशों की यात्रा कैसे चीन का किला करेगी ध्वस्त?

पीएम मोदी की कूटनीति और सॉफ्ट पावर की दुनिया दीवानी है. आपको याद है न वो पल, जब पापुआ न्यू गिनी के पीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छुए थे. यह भी तो याद ही होगा जब अफ्रीकन यूनियन के चीफ ने जी-20 के दौरान पीएम मोदी को गले लगा लिया था. ऐसा इसलिए क्योंकि पीएम मोदी सबको एक समान देखते हैं. चाहे सुपरपावर हो या कोई छोटा सा गरीब देश. ऐसे में एक बार फिर पीएम मोदी कैरिबियाई और अफ्रीकन देशों की यात्रा पर निकल रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील में ब्रिक्स समिट में भाग लेंगे और ‘ग्लोबल साउथ’ के 5 प्रमुख देशों के साथ भारत के संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए दो जुलाई से पांच देशों की यात्रा करेंगे. पीएम मोदी की इस यात्रा से चीन का वह किला ध्वस्त होगा, जिसे उसने कर्ज की नींव पर खड़ा कर रखा है.

सबसे पहले जानते हैं कि पीएम मोदी 2 जुलाई से 9 जुलाई के बीच कहां-कहां की यात्रा करेंगे. आठ दिनों की यात्रा में पीएम मोदी ब्राजील के अलावा घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया जाएंगे. पीएम मोदी की इस यात्रा का एक मकसद है ब्रिक्स समिट. दूसरा और सबसे बड़ा मकसद है वैश्विक कूटनीति में भारत की स्थिति को और मजबूत करना. घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामिबिया की इस यात्रा से भारत इन देशों से द्विपक्षीय संबंधों की और उड़ान भरेगा. इतना ही नहीं, इन देशों में चीन का जिस तरह दबदबा बढ़ा है, उसे भी कम करने की यह कोशिश है. पीएम मोदी की यात्रा इन इलाकों में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की अहम रणनीति है.

कहां-कहां जा रहे पीएम मोदी

घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामिबिया… ये ऐसे देश हैं, जहां चीन का प्रभाव अधिक है. यह कर्ज आधारित प्रभाव है. पीएम मोदी जब यहां जाएंगे तो चीन के किले के ढहने की शुरुआत होगी. कारण कि इन देशों को भी अब चीन की चाल समझ आ चुकी है. ये सभी देश श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान का हाल देख चुके हैं. यही वजह है कि इन देशों का झुकाव अब भारत की ओर होगा. सच कहें तो इन देशों को चीन ने अपने कर्जजाल में फंसा रखा है. चीन ने अपनी बीआरआई यानी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के जरिए इन देशों में भारी निवेश किया है.

चीन ने कैसे कर्जजाल में इन देशों को फंसाया

घाना और नामिबिया में खनन और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए चीन ने अरबों डॉलर के कर्ज दिए, जिससे ये देश कर्ज के जाल में फंसे हैं. जबकि, अर्जेंटीना में चीन ने ऊर्जा और रेल परियोजनाओं में निवेश किया है. इतना ही नहीं, ब्राजील में व्यापार और बंदरगाहों पर उसका दबदबा है. त्रिनिदाद और टोबैगो में भी चीन ने तेल और गैस क्षेत्र में पैठ बनाई. मगर अब ब्राजील समेत इन देशों का झुकाव भारत की ओर झलक रहा है. यही वजह है कि ब्रिक्स समिट के इतर ब्राजील ने पीएम मोदी के लिए स्पेशल डिनर का इंतजाम किया है. जैसे ही चीन को यह बात पता चली कि ब्राजील ने पीएम मोदी को स्पेशल डिनर पर बुलाया है, वह जलभुन गया. यही कारण है कि शी जिनपिंग ने ब्रिक्स से अलग रहने का फैसला किया.

कैसे चीन का किला ध्वस्त करेगा भारत

अब सवाल है कि इन देशों में भारत कैसे चीन के प्रभाव को कम करेगा और कैसे ड्रैगन के कर्जजाल से उन्हें आजाद कराएगा? पीएम मोदी की यात्रा का एक और बड़ा मकसद इन देशों के साथ भारत के आर्थिक, रक्षा और डिजिटल सहयोग को बढ़ावा देना है. घाना और नामिबिया में यूपीआई और हेल्थ प्रोजेक्ट में भारत सहयोग करेगा. अर्जेंटीना में खनिज और नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग, ब्राजील में ब्रिक्स के जरिए वैश्विक शासन और नामिबिया में पर्यावरणीय साझेदारी चीन के प्रभाव को संतुलित करेंगी. यही वजह है कि पीएम मोदी के इस पांच देशों की यात्रा पर पूरी दुनिया की नजर है. चीन भी टकटकी लगाकर देखेगा, जब इन देशों में पीएम मोदी के कदम पड़ेंगे.

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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