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अब पोषण ट्रैकर से बंटेगा पोषाहार, फेस और फिंगरप्रिंट से होगी पहचान

उत्तर प्रदेश में पोषाहार वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। अब 7 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को मिलने वाला पोषाहार “पोषण ट्रैकर” ऐप के माध्यम से वितरित किया जाएगा। इस नई व्यवस्था के तहत फेस रिकग्निशन और फिंगरप्रिंट (फेस फिंगर ऑथेंटिकेशन) के जरिए लाभार्थियों की पहचान की जाएगी।

पोषण ट्रैकर के जरिए वितरण: आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले लाभार्थियों को अब ऐप के जरिए रजिस्टर किया जाएगा और उसी के अनुसार उन्हें पोषाहार दिया जाएगा।

फेस और फिंगरप्रिंट से पहचान: लाभार्थी की पहचान अब केवल दस्तावेजों से नहीं, बल्कि डिजिटल बायोमेट्रिक प्रणाली से होगी।

भ्रष्टाचार पर लगाम: इस तकनीक से फर्जी लाभार्थियों, दोहरी एंट्री और पोषाहार की कालाबाजारी पर प्रभावी रोक लगेगी।

सरल व पारदर्शी प्रक्रिया: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वे तकनीक के माध्यम से बिना किसी बाधा के पोषाहार वितरण कर सकें।

सरकार का उद्देश्य है कि पोषण अभियान को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाया जाए। इस नई व्यवस्था से यह सुनिश्चित होगा कि पोषाहार सही लाभार्थी तक समय पर पहुंचे, जिससे कुपोषण की समस्या में कमी आए।

यह डिजिटल पहल “सुपोषित भारत” की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। यदि यह योजना सफल होती है तो आने वाले समय में इसे राज्य के हर कोने में लागू किया जाएगा और अन्य योजनाओं में भी इस तरह की डिजिटल ट्रैकिंग प्रणाली को अपनाया जा सकता है।

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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