भूकंप के बाद चीन से मोहभंग, म्यांमार ने भारत का थामा हाथ – ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ से पहुंचाई राहत

नई दिल्ली:
म्यांमार, जो अब तक चीन की निर्माण सामग्री पर निर्भर था, एक विनाशकारी भूकंप के बाद हकीकत से रूबरू हुआ। राजधानी नेय प्यी ताव में भूकंप के दौरान जिन इमारतों का निर्माण चीनी सीमेंट और सामग्री से हुआ था, वे धराशायी हो गईं। कमजोर गुणवत्ता की पोल खुलते ही म्यांमार ने फौरन भारत से मदद मांगी – और भारत ने बिना देर किए मदद का हाथ बढ़ाया।
सूत्रों के मुताबिक, भारत ने ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत न केवल मानवीय और चिकित्सा सहायता दी, बल्कि अब निर्माण सामग्री विशेषकर उच्च गुणवत्ता की सीमेंट की आपूर्ति भी शुरू कर दी है। इससे म्यांमार में राहत और पुनर्निर्माण कार्य को नई गति मिली है।
चीन से निराशा, भारत से भरोसा
चीन, जो म्यांमार के रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचे में लंबे समय से निवेश कर रहा है, वहां घटिया गुणवत्ता की सामग्री भेजने के कारण अब कटघरे में है। म्यांमार सरकार ने साफ तौर पर संकेत दिए हैं कि चीनी कंपनियों ने अपने व्यापारिक लाभ के लिए जनता की सुरक्षा के साथ समझौता किया, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। म्यांमार सरकार ने भारत के सहयोग को “मुश्किल समय में सच्चे मित्र की पहचान” बताया है और निर्माण क्षेत्र में दी जा रही सपोर्ट के लिए धन्यवाद भी दिया है।
‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ बना जीवन रेखा
28 मार्च को आए भूकंप के तुरंत बाद भारत ने ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ की शुरुआत की। इस अभियान में खोज और बचाव (SAR), राहत सामग्री, दवाइयां और मेडिकल टीमें म्यांमार भेजी गईं। भारत की त्वरित प्रतिक्रिया ने म्यांमार को संकट से उबरने में बड़ा सहारा दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, “हमारी नीति हमेशा रही है – पहले पड़ोस। किसी भी संकट में भारत पहला देश बनता है जो अपने पड़ोसी की मदद को आगे आता है।”
चीन पर दोहरे सवाल – पाकिस्तान भी परेशान
इस घटनाक्रम से ठीक पहले पाकिस्तान में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भी चीनी हथियारों की नाकामी सामने आई थी। पाकिस्तान की सैन्य जरूरतों के लिए चीन से आयातित 80 से ज्यादा हथियारों की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं। जहां एक ओर चीन कमजोर गुणवत्ता के कारण आलोचना झेल रहा है, वहीं भारत संवेदनशीलता और भरोसेमंद सहयोगी के रूप में उभरा है – चाहे वह राहत सामग्री हो, निर्माण सहायता हो या मानवीय समर्थन।