गोंडा

जिलाधिकारी नेहा शर्मा की दूरदर्शी पहल ने गोंडा की ग्रामीण महिलाओं को दिया नवाचार और आत्मनिर्भरता का नया मंच

*जलकुंभी से जीवनशैली: एक बेकार पौधे से सजीव संभावनाओं की कहानी*

*गोंडा, 25 मई 2025:*

गोंडा जिले में विकास और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक अनूठा अध्याय लिखा जा रहा है। इस परिवर्तन की सूत्रधार हैं – जिला अधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा, जिनकी सोच है कि स्थानीय संसाधनों, नवाचार और समुदाय की भागीदारी के माध्यम से स्थायी विकास को नई दिशा दी जा सकती है।

नेहा शर्मा की यह पहल केवल प्रशासनिक प्रयास नहीं है, बल्कि यह गोंडा की सामाजिक और आर्थिक बनावट को पुनर्परिभाषित करने का एक सशक्त प्रयास है। उनके नेतृत्व में जिला प्रशासन ने जलकुंभी जैसे उपेक्षित और कष्टदायक जल पौधे को आजिविका और महिला उद्यमिता से जोड़ने का कार्य शुरू किया है।

*जलकुंभी से उद्यमिता: सोच से साकार तक*

गोंडा के तालाबों और जलाशयों में जलकुंभी को अब तक एक समस्या के रूप में देखा जाता रहा है – जल प्रदूषण, मच्छर प्रजनन और जल-जमाव जैसी समस्याओं का कारण। परंतु नेहा शर्मा ने इसे समस्या नहीं, अवसर के रूप में देखा। उन्होंने इसे ग्रामीण महिलाओं के लिए स्वरोजगार और हुनर का साधन बनाने का विज़न सामने रखा

इस विज़न को साकार रूप देने के लिए, जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत जलकुंभी से सजावटी और उपयोगी उत्पाद जैसे टोकरी, डलिया, हैंगिंग पॉट्स आदि बनाने का प्रशिक्षण प्रारंभ किया। यह पहल गोंडा में “वेस्ट टू वैल्यू” (कचरे से मूल्य) की अवधारणा का एक प्रेरक उदाहरण बन रही है।

*प्रशिक्षण शिविर: शुरुआत भर है*

इस पहल के प्रथम चरण में, विकासखंड वजीरगंज के सभागार में दिनांक 2 मई से 17 मई 2025 तक 14 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया, जिसमें 35 स्वयं सहायता समूह की दीदियों ने भाग लिया। इस शिविर में उन्हें न केवल जलकुंभी से उत्पाद बनाना सिखाया गया, बल्कि उद्यमिता, ब्रांडिंग, और विपणन के भी मूल कौशल सिखाए गए।

उपायुक्त स्वतः रोजगार गोंडा द्वारा तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई, जबकि संपूर्ण योजना की निगरानी और मार्गदर्शन स्वयं जिला अधिकारी नेहा शर्मा द्वारा किया गया। इस शिविर के दौरान प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक नवाचार किए और अपने हाथों से तैयार किए गए उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई।

*बहुआयामी दृष्टिकोण: केवल प्रशिक्षण नहीं, संपूर्ण मॉडल*

इस पहल की विशेषता यह है कि यह केवल एक प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं है, बल्कि एक बहुआयामी आजीविका मॉडल है। इसमें स्थानीय संसाधनों का टिकाऊ उपयोग, पर्यावरण संरक्षण, महिला नेतृत्व, और स्थायी बाजार से जुड़ाव – सभी पहलुओं को समाहित किया गया है।

मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती अंकिता जैन ने इस पहल को विभागीय समन्वय से लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, “यह केवल उत्पाद निर्माण नहीं है, यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया है, जिसमें महिलाएं निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।”

*नेहा शर्मा की सोच: स्थानीय से वैश्विक तक*

जिला अधिकारी नेहा शर्मा का मानना है कि “जब तक ग्रामीण महिलाएं केवल लाभार्थी रहेंगी, विकास अधूरा रहेगा। हमें उन्हें योजनाओं की सहभागी नहीं, बल्कि नेता बनाना होगा। जलकुंभी की यह पहल एक प्रतीक है – जहां हम समस्या को समाधान में बदलते हैं, और साधनहीनता को सामर्थ्य में।”

वह आगे बताती हैं कि यह पहल सिर्फ वजीरगंज तक सीमित नहीं रहेगी। भविष्य में इसे जिले के अन्य विकासखंडों, स्कूलों, कौशल केंद्रों और महिला संगठनों तक विस्तार देने की योजना है, जिससे हजारों ग्रामीण महिलाओं को नवाचार से जोड़ा जा सके।

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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