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127 साल बाद भारत ब्रिटेन से ले आया भगवान बुद्ध के अवशेष, ज‍िद ऐसी क‍ि रुकवा दी थी नीलामी

अंग्रेज जब भारत से लौटे तो हमारे इतिहास, विरासत और धर्म से जुड़ी कई अमूल्य चीजें साथ ले गए. लेकिन अब भारत अपनी धरोहरों को एक-एक कर वापस ला रहा है. ऐसा ही एक ऐतिहासिक पल आया जब 127 साल पुराने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष को भारत सरकार ने ब्रिटेन से वापस मंगवाया. ये अवशेष यूपी के सिद्धार्थनगर ज‍िले स्थित पिपरहवा बुद्ध मंदिर में श्रद्धा और सम्मान के साथ स्थापित किए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इन अवशेषों की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की और लिखा, भारत की सांस्कृतिक विरासत और बुद्ध के प्रति हमारी आस्था का प्रतीक है यह क्षण. हर भारतीय के लिए गर्व का दिन. आप जानकर हैरान होंगे कुछ द‍िनों पहले इन अवशेषों की नीलामी होने वाली थी, लेकिन भारत सरकार अड़ गई और नीलामी रुकवा द‍िया. और आज इन अवशेषों को भारत लाया गया है.

इन अवशेषों की कहानी साल 1898 में शुरू होती है, जब एक ब्रिटिश इंजीनियर विलियम पेपे ने पिपरहवा में एक प्राचीन बौद्ध स्तूप की खुदाई की. खुदाई में एक विशाल पत्थर का पात्र मिला. इसमें भगवान बुद्ध की हड्डियों के अवशेष, क्रिस्टल और सोपस्टोन की पवित्र कलशियां और रत्नों व आभूषणों से भरे चढ़ावे थे. इनमें से अधिकतर रत्न और आभूषण जैसे 1,800 से अधिक मोती, माणिक, नीलम, टोपाज और सुनहरी चादरें कोलकाता के म्‍यूज‍ियम में रखे हुए थे. ऐतिहासिक साक्ष्‍य बताते हैं क‍ि ज‍िस स्तूप के नीचे से ये अवशेष निकाले गए थे, उसे शाक्य वंशजों ने भगवान बुद्ध के दाह संस्कार के बाद बनवाया था.

ब्रिटेन कैसे पहुंचे ये अवशेष?

ब्रिटिश सरकार ने उस वक्‍त के इंडियन ट्रेजर ट्रोव एक्ट (Indian Treasure Trove Act 1878) के तहत खुदाई में मिले अधिकांश अमूल्य अवशेष इंडियन म्यूजियम, कोलकाता भेज दिए. लेकिन खुदाईकर्ता विलियम पेपे को कुछ रत्न और पात्र अपने पास रखने की अनुमति दी गई जो बाद में उनके परिवार के पास रह गए. अब पेपे का वंशज क्रिस पेपे इन पवित्र रत्नों को सोथेबी (Sotheby) नाम की संस्था के जरिए नीलाम करने जा रहा था.

भारत सरकार क्यों अड़ गई?

जैसे ही भारत को इन रत्नों की नीलामी की खबर मिली, 5 मई 2024 को संस्कृति मंत्रालय ने कानूनी नोटिस जारी किया. सरकार का कहना था क‍ि ये अवशेष भारत और वैश्विक बौद्ध समुदाय की अमूल्य धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर हैं. इनकी नीलामी भारतीय कानूनों और संयुक्त राष्ट्र समझौतों का उल्लंघन है. इनका व्‍यापार करना अवैध और अनैत‍िक है. बौद्ध संगठनों ने भी कड़ा विरोध किया. इसके बाद नीलामी करने वाली संस्‍था भी पीछे हट गई. कहा हम इसे संरक्षि‍त करना चाहते थे.

नीलामी रुकी और भारत जीता

भारत के सख्त रुख के आगे नीलामी करने वाली एजेंसी को झुकना पड़ा. नीलामी टाल दी गई और पिपरहवा रत्नों को भारत लौटाने की प्रक्रिया शुरू हुई. आज वे रत्न, जिनकी कीमत 100 करोड़ से भी ज्यादा लगाई गई थी, धार्मिक सम्मान के साथ अपने देश लौटे हैं. अब ये राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली और पिपरहवा बुद्ध मंदिर में सुरक्षित रखे गए हैं.

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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