अंतरराष्ट्रीय

अरबी देशों में ट्रंप के कारण भारत के सामने क्या चुनौतियां होंगी?

क़तर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमाद अल-थानी दो दिनों के भारत दौरे पर हैं। क़तर के अमीर ने इस दौरे में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में 10 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है।

आरएसएस के राम माधव की अध्यक्षता वाले इंडिया फाउंडेशन ने इससे पहले मस्कट में ओमान के विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर 45 देशों के विदेश मंत्री या उनके प्रतिनिधियों को बुलाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अरब देशों पर काफी ध्यान दिया है। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका में दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद से दुनिया भर में हालात बदल गए हैं।

पश्चिमी दुनिया में भी अमेरिकी नेतृत्व को लेकर बहस है। नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन, या नेटो, दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था, जिससे पश्चिमी देशों को सुरक्षा मिली, लेकिन अब नेटो के देश भी आपस में उलझ रहे हैं।

अब नेटो के संस्थापक देश एक-दूसरे को खतरा मान रहे हैं। मसलन, नवंबर में ट्रंप की जीत के बाद कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बताना शुरू कर दिया गया।ट्रंप ने भी ग्रीनलैंड पर अमेरिकी नियंत्रण की वकालत की क्योंकि यह डेनमार्क का स्वतंत्र क्षेत्र है। यह दिलचस्प है कि अमेरिका नेटो के संस्थापक देशों कनाडा और डेनमार्क पर अपना नियंत्रण रखने की बात कर रहा है। लेकिन ट्रंप की नीतियों से तीसरी दुनिया के देशों और पश्चिम भी प्रभावित हो रहे हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है, ज़ाहिर है।

ट्रंप के दो फैसलों को लेकर दुनिया भर में सबसे तीखी बहस हो रही है। ट्रंप ने यूक्रेन-रूस संघर्ष को समाप्त करने के लिए राष्ट्रपति पुतिन से सहानुभूति दिखाई है और यहाँ की पूरी जनसंख्या को कहीं दूर स्थानांतरित करना चाहते हैं। पुतिन पर नरमी के कारण यूरोप में बेचैनी है, और गज़ा की आबादी को दूसरे देशों में स्थानांतरित करने की योजना से मध्य-पूर्व में तनाव बढ़ा है। पुतिन की गज़ा योजना का यूरोप भी विरोध कर रहा है। फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पिछले हफ्ते सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “ग़ज़ा कोई ख़ाली ज़मीन का टुकड़ा नहीं है।” लाखों फ़लस्तीनी यहाँ रहते हैं का अधिकार। रीयल एस्टेट की तरह इसे डील नहीं कर सकते।:”

यह भारत-रूस की ऐतिहासिक दोस्ती के खिलाफ नहीं है, इसलिए ट्रंप ने पुतिन के प्रति नरमी दिखाई। माना जाता है कि रूस ने अमेरिका से दूर होने के कारण चीन की ओर रुख किया। भारत को रूस और चीन के क़रीब जाने की अनुमति नहीं दी जाती। भारत ट्रंप की मध्य-पूर्व नीति से सीधे प्रभावित होता दिख रहा है। Trump ने ईरान पर ‘मैक्सिमम प्रेशर’ की नीति का ऐलान किया है। इस नीति के बाद, ट्रंप ने भारत को ईरान में चाबहार पोर्ट बनाने के लिए दी गई छूट को समाप्त करने या पुनर्विचार करने की बात कही है।

भारत में कई कारणों से चाबहार पोर्ट महत्वपूर्ण है। इस पोर्ट से भारत अफ़ग़ानिस्तान, ईरान और मध्य-एशिया में व्यापार करना चाहता है। भारत की स्थिति बहुत कठिन हो जाएगी अगर ट्रंप इस मामले में झुकते हैं। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने अंग्रेज़ी अखबार द हिन्दू से कहा, “इस पर ओमान में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मेरी बात विस्तार से हुई है।” ईरान को भारत के साथ संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारत और ईरान का संबंध बहुत पुराना है। हिन्द महासागर का पूरा क्षेत्र, न सिर्फ भारत और ईरान, चाबहार का मुद्दा है।

लिए महत्वपूर्ण है। Chabahar Port हिन्द महासागर को यूरेशिया और यूरोप से जोड़ेगा। ईरानी रेलवे का इस्तेमाल करना काफी सस्ता होगा। इसलिए भारत इसमें विशेष रुचि दिखा रहा है और हम भी इस सहयोग से खुश हैं।:”

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