शांति वार्ता से 4 दिन पहले पुतिन ने दिखाए तेवर, बढ़ गई जेलेंस्की की धड़कन, चाहते हैं अमेरिका-रूस वार्ता में एंट्री

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को लेकर यूरोपीय नेताओं ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अपील की है कि रूस पर और ज्यादा दबाव डालने की अपील की है. रूसी राष्ट्रपति के साथ डोनाल्ड ट्रंप के बीच 15 अगस्त को शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. इस बैठक से रूस-यूक्रेन युद्ध के अंत की उम्मीद की जा रही है लेकिन चिंता भी बढ़ गई है कि इस समझौते में यूक्रेन को अपनी जमीन छोड़नी पड़ सकती है.
रूस-यूक्रेन युद्ध को लगभग 4 साल का वक्त बीतने वाला है. चूंकि व्लादिमीर पुतिन करीब 10 साल बाद अमेरिका में आकर वार्ता करने वाले हैं, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस वार्ता का कोई हल निकल सकेगा. वहीं यूक्रेनी राष्ट्रपति को इस बात की टेंशन है कि अमेरिका उनकी किस्मत का क्या फैसला करने वाला है? यूरोप और यूक्रेन ने जोर देकक ये बात कही है कि किसी भी तरह की बातचीत में यूक्रेन को शामिल किया जाना चाहिए.
कितने गंभीर हैं व्लादिमीर पुतिन?
नाटो के महासचिव मार्क रुटे ने इस वार्ता को लेकर कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली आगामी बैठक एक बड़ी परीक्षा होगी. अगर यह शिखर वार्ता सफल रहती है, तो यूक्रेन को शांति प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा. रुटे ने CBS न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि जब बात शांति वार्ता, युद्धविराम और उसके बाद क्षेत्रीय मुद्दों या यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटियों की होगी, तो यूक्रेन को शामिल किया जाना अनिवार्य है. हालांकि शुक्रवार को सबसे जरूरी यह देखना है कि पुतिन इस प्रक्रिया को लेकर कितने गंभीर हैं.
शांति वार्ता से पहले रूसी हमला
रविवार को यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने बताया कि रूस ने जापोरिझिया क्षेत्र पर हवाई बमों से हमला किया, जिसमें कम से कम 12 लोग घायल हो गए. ये हमले रिहायशी इलाकों, एक बस स्टेशन और एक क्लिनिक को निशाना बनाकर किए गए. विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बताया कि घायलों में से एक को बचावकर्मियों ने मलबे से बाहर निकाला. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से रूस पर प्रतिबंध और दबाव बढ़ाने की अपील की.
क्यों बेचैन हैं जेलेंस्की?
दरअसल 8 अगस्त को ट्रंप ने एक बयान में कहा था कि वह पुतिन से मिलने वाले हैं. इस दौरान उन्होंने कहा था कि यूक्रेन को भी कई चीजों के लिए तैयार रहना होगा. उन्होंने जमीन की अदला-बदली का प्रस्ताव भी दिया है. हालांकि यूक्रेन किसी भी तरह से तैयार नहीं है. इसके बदले जेलेंस्की ने गुस्से में कहा था कि यूक्रेन का संविधान हमारी जमीन की रक्षा करता है. एक इंच भी जमीन रूस को नहीं देंगे. अब यूरोपीय देश भी उनके रूख का समर्थन करते हुए कह रहे हैं कि ट्रंप और पुतिन के बीच किसी भी प्रकार की शांति संधि पर हस्ताक्षर यूक्रेन की भागीदारी के बिना नहीं होंगे. यूक्रेन की संप्रभुता और सुरक्षा को दरकिनार कर कोई समझौता नहीं हो सकता.