लव जिहाद को लेकर सुधांशु त्रिवेदी ने दिया बड़ा बयान

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने सोमवार (30 जून) को केरल स्टोरी और लव जिहाद को लेकर बड़ा बयान दिया है।भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि केरल स्टोरी और लव जिहाद पर जागरूकता बेहद जरूरी हैं।
हाल ही में सुधार सूत्रवेदी ने देश में बढ़ रहे लैब से हाथ के मामले को लेकर तीखा प्रहार किया है उन्होंने कहा है कि लव याद आज देश को दीमक की तरह खा रहा है और से जल्द से जल्द खत्म करना हम सभी की जिम्मेदारी है।जिसको लेकर उन्होंने सभी सभी बहन बेटियों को जागरुक करते हुए कहा कि आज के समय में हर लड़की को आत्मनिर्भर और आत्म सम्मानित होना बेहद जरूरी है। लव जिहाद आज हमारे देश में पैर पसारता जा रहा है।और इस काम करने के लिए हमें ही आगे बढ़ना होगा।
जिसको लेकर सुधांशु त्रिवेदी ने एक बयान दिया जिसको लेकर देश भर में सियासी घमासान मच गए बयान बाजिया तेज हो गई। तो वही सुधांशु त्रिवेदी ने इस बात पर बिना फिक्र जताते हुए खुलेआम लव जिहाद को एक गलत तरीका बताते हुए इस बात का समर्थन किया कि आज के समय में लव जिहाद पूरी तरह से देशभर में फैल चुका है। और उसे काम करना हम सभी की जिम्मेदारी है।
सुधांशु त्रिवेदी ने मंदिर प्रवेश को लेकर क्या कहा
आपको बता दे की हाल ही में सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि धर्म और अधिकार दोनों अलग-अलग है लेकिन जब बात महिला या पुरुष की आती है तो हमारा देश आज भी बात हुआ नजर आता है क्योंकि लोग पुरुषों की तुलना में महिलाओं की गलतियों और महिलाओं के अधिकारों का हनन ज्यादा कर रहे हैं।
जिसको लेकर हाल ही में कार्यक्रम के दौरान भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “केरल में चार मंदिर ऐसे हैं जहां पुरुषों का प्रवेश नहीं होता है, लेकिन बहस सिर्फ उन चुनिंदा मंदिरों पर की जाती है जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.” उन्होंने कहा, “हमें अपने बच्चों को यह फर्क समझाना होगा कि संस्कृति और भेदभाव में क्या अंतर है और उन्हें आज के वक्त में उन्हें यह समझाना बेहद जरूरी है।
संस्कृति और भेदभाव में है अंतर
दरअसल आज का समाज बच्चों को भेदभाव और संस्कृति के बारे में अंतर ही नहीं समझ पाता वह ना ही भेदभाव से लोगों को जागरुक करते हैं और ना ही संस्कृति के बारे में उन्हें बेहद ज्ञान होता है जिसको लेकर आज तक अपने बच्चों को भी एक सही मार्गदर्शन नहीं दे पाते। वहीं सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हमें अपने बच्चों को यह फर्क समझाना होगा कि संस्कृति और भेदभाव में क्या अंतर है. सरकार, समाज और परिवार को मिलकर बच्चों को इस तरह की साजिशों से बचाने के लिए जागरूक करना होगा।