महाराष्ट्र में हिंदी-मराठी भाषा विवाद:

महाराष्ट्र सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने के दो प्रस्तावों को वापस ले लिया। यह निर्णय बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के विवादास्पद बयान के बाद आया, जिसमें उन्होंने हिंदी और मराठी के बीच तनाव को बढ़ावा दिया, जिसे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अनुचित ठहराया। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने इसे मराठी अस्मिता की जीत करार देते हुए मुंबई में ‘विजय रैली’ आयोजित की, जिसमें हजारों समर्थकों ने हिस्सा लिया। कांग्रेस ने इस रैली को राजनीतिक नाटक बताया और इससे दूरी बनाई। विपक्ष ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति में देरी पर भी विरोध जताया। यह मुद्दा भाषाई नीतियों और क्षेत्रीय संवेदनशीलता के बीच संतुलन को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद भविष्य में भारत के बहुभाषी राज्यों में शैक्षिक नीतियों को प्रभावित कर सकता है। सोशल मीडिया पर हिंदी और मराठी समर्थकों के बीच तीखी बहस छिड़ी है, जिसने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है। यह घटना भाषा, संस्कृति, और राजनीति के जटिल संबंधों को उजागर करती है।