भारत, रूस और चीन की दोस्ती तगड़ी करने का वक्त, सार्गेई लावरोव के बयान से हिल जाएगा अमेरिका

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने दुनिया की सियासी बिसात पर एक तगड़ा दांव खेला है. उन्होंने भारत, रूस और चीन (RIC) के पुराने त्रिकोण को फिर से जिंदा करने की जोरदार वकालत की है. गुरुवार को रूस के पर्म शहर में एक बड़े सम्मेलन में लावरोव ने कहा, ‘भारत और चीन ने सीमा पर तनाव कम करने की राह पकड़ ली है, अब वक्त है RIC को फिर से खड़ा करने का.’ उनका इशारा साफ है- रूस चाहता है कि ये तीनों देश मिलकर पश्चिमी ताकतों के खिलाफ एक मजबूत ध्रुव बनाएं. यह खबर डोनाल्ड ट्रंप को झटका देने के लिए काफी है.
लावरोव ने क्वाड (अमेरिका, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया) पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि क्वाड के सदस्य आर्थिक और व्यापारिक सहयोग की आड़ में चीन के खिलाफ सैन्य गतिविधियां कर रहे हैं. लावरोव ने भारत को आगाह करते हुए कहा, ‘मुझे यकीन है कि हमारे भारतीय दोस्त क्वाड की इन उकसावे वाली चालों को देख रहे हैं. ये सब चीन के खिलाफ पूर्वी एशिया में साजिश का हिस्सा हैं.’ लावरोव के बयान की टाइमिंग बेहद महत्वपूर्ण है. रूस का ये बयान तब आया है, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पुतिन को ‘आग से खेलने वाला’ कहकर सबको चौंका दिया. कुछ ही दिन पहले की बात है जब ट्रंप रूस के साथ दोस्ती की बात करते थे, अब अचानक उसके खिलाफ तलवार खींच रहे हैं.
RIC से होगा फायदा?
RIC त्रिकोण की कहानी 2006 से शुरू हुई थी, जब भारत के तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह, चीन के हू जिंताओ और रूस के व्लादिमीर पुतिन ने हाथ मिलाया था. इसे ब्रिक्स की नींव माना जाता है. लेकिन 2020 में गलवान की झड़प के बाद ये त्रिकोण ठप हो गया. वहीं दूसरी ओर, भारत-चीन के बीच तनाव और चीन का पाकिस्तान को हथियारों से लैस करना भारत के लिए बड़ा सिरदर्द बना हुआ है. रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन अब पाकिस्तान को पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट देने की तैयारी में है. ऐसे में भारत का RIC में दोबारा शामिल होना कितना आसान होगा, ये बड़ा सवाल है.
लावरोव के बयान से अलग भारत बैलेंस बनाकर चल रहा है. भारत को भी सियासी दांवपेच आते हैं. एक तरफ रूस उसका पुराना यार है, दूसरी तरफ भारत 1-3 जून को यूरोपीय संघ (EU) के साथ हिंद महासागर में जोरदार नौसैनिक अभ्यास करने जा रहा है. ये अभ्यास समुद्री डकैती रोकने, युद्ध कौशल और संचार मजबूत करने पर केंद्रित होगा. EU का कहना है कि ये एक ‘खुले और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था’ का प्रतीक है. लेकिन रूस को ये बात चुभ रही है, क्योंकि नाटो और पश्चिमी देशों के साथ भारत की नजदीकी उसे अपने प्लान के लिए खतरा दिखती है.
चीन की कठपुतली पाकिस्तान
वहीं दूसरी तरफ चीन की हरकतों ने भारत को और सतर्क कर दिया है. लावरोव भले ही RIC की बात करें, लेकिन भारत जानता है कि चीन पाकिस्तान को हथियार देकर उसे परेशान कर रहा है. अगर रूस RIC की बात करता है तो उसे चीन को भी साफ कह देना चाहिए कि वह अपनी ‘कठपुतली’ पाकिस्तान को काबू में करे. ऐसे में भारत के सामने बड़ा सवाल है- क्या वो उस देश के साथ खड़ा हो सकता है, जो उसके दुश्मन को पाल रहा है?