भारत-पाकिस्तान क्रिकेट: जब मैदान पर भिड़ंत से ज्यादा विवादों ने सुर्खियां बटोरी

नई दिल्ली:
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि जज्बातों की जंग होती है। हर मुकाबला एक नई कहानी लिखता है, जिसमें क्रिकेट के अलावा भी बहुत कुछ होता है। मैदान में जब ये दोनों टीमें भिड़ती हैं, तो स्टेडियम में मौजूद हर दर्शक, टीवी पर नजरें गड़ाए हर फैन और सोशल मीडिया पर हर कमेंट करने वाला एक अलग ही माहौल बना देता है। कोलंबो से टोरंटो, शारजाह से ढाका तक—हर जगह इन मुकाबलों में रोमांच भी रहता है और विवाद भी।
आइए नजर डालते हैं ऐसे ही पांच कम चर्चित लेकिन दिलचस्प विवादों पर, जो भारत-पाकिस्तान क्रिकेट की अनोखी गाथा का हिस्सा बने—
1. जब टीम चयन ही बना विवाद (1998, कुआलालंपुर और टोरंटो का किस्सा)
आज भारतीय क्रिकेट इतनी मजबूत हो चुकी है कि एक ही समय पर दो अलग-अलग फॉर्मेट में अलग-अलग टीमें खेलती हैं। लेकिन 1998 में ऐसा पहली बार हुआ, जब भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने मजबूरी में दो टीमें बनाई। वजह थी कॉमनवेल्थ गेम्स (कुआलालंपुर) और सहारा कप (टोरंटो) की तारीखों का टकराव।
BCCI ने खिलाड़ियों को दो ग्रुप में बांट दिया—
सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले और वीवीएस लक्ष्मण कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए चुने गए।
सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, जवागल श्रीनाथ और वेंकटेश प्रसाद सहारा कप खेलने गए।
लेकिन असली बवाल तब मचा, जब भारत कॉमनवेल्थ गेम्स में ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गया। BCCI ने फैसला लिया कि सहारा कप में जूझ रही टीम को मजबूती देने के लिए सचिन, अजय जडेजा, अनिल कुंबले और रॉबिन सिंह को कनाडा भेजा जाए। पाकिस्तान बोर्ड ने इसका जबरदस्त विरोध किया, यह तर्क देते हुए कि टूर्नामेंट के दौरान टीम में इस तरह बदलाव नहीं किए जा सकते। काफी बहस के बाद समझौता हुआ और सिर्फ सचिन और जडेजा को जाने की इजाजत मिली।
2. जब बेंगलुरु मैच को ‘युद्ध’ कहा गया (1996 वर्ल्ड कप)
1996 वर्ल्ड कप का बेंगलुरु क्वार्टर फाइनल सिर्फ एक क्रिकेट मैच नहीं था, बल्कि दो देशों के बीच मानो जंग छिड़ गई थी। मीडिया ने इसे ‘युद्ध’ कहकर और भड़का दिया था।
मैच के दौरान भारत और पाकिस्तान के शहरों में अजीब सा सन्नाटा था, मानो कर्फ्यू लगा हो। स्टेडियम में जबरदस्त सुरक्षा थी, आर्मी तक अलर्ट थी। भारत ने इस हाई-वोल्टेज मैच को जीत लिया, लेकिन यह मुकाबला सिर्फ नतीजे के लिए नहीं, बल्कि उस दौर के तनाव और जुनून के लिए याद किया जाता है।
3. जब इंजमाम उल हक ‘आलू-आलू’ सुनकर भड़क गए (1997, टोरंटो)
भारत-पाकिस्तान मैच का रोमांच दर्शकों की वजह से और बढ़ जाता है, लेकिन कभी-कभी फैंस अपनी हदें भी पार कर जाते हैं। 1997 में टोरंटो में सहारा कप के दौरान इंजमाम उल हक से एक दर्शक की छींटाकशी बर्दाश्त नहीं हुई।
उस फैन ने लगातार ‘आलू-आलू’ कहकर इंजमाम को चिढ़ाया। पहले तो इंजमाम ने नजरअंदाज किया, लेकिन जब हद हो गई, तो गुस्से में बैट उठाकर स्टैंड में चढ़ गए। सिक्योरिटी और अंपायरों ने किसी तरह मामला शांत कराया।
वैसे, मैदान के बाहर इंजमाम बिल्कुल अलग स्वभाव के थे। 2004 में मुल्तान टेस्ट के दौरान उन्होंने पूरी भारतीय टीम को अपने घर डिनर पर बुलाया था, जहां मेहमाननवाजी के किस्से आज भी याद किए जाते हैं।
4. जब भारत ने पाकिस्तान में मैच छोड़ दिया (1978, साहिवाल वनडे)
1978 में साहिवाल में खेला गया भारत-पाकिस्तान वनडे इतिहास में एक अलग ही वजह से दर्ज है। यह पहला और शायद अकेला वनडे है, जिसमें भारत ने बीच में ही मैच छोड़ने का फैसला किया।
क्या हुआ था?
पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 205/7 का स्कोर बनाया।
अंशुमान गायकवाड़ ने शानदार बैटिंग करते हुए 62 रन बनाए और भारत जीत की ओर बढ़ रहा था।
38वें ओवर में सरफराज नवाज ने लगातार चार खतरनाक बाउंसर फेंकी, जो अंपायर ने वाइड नहीं दी।
कप्तान बिशन सिंह बेदी ने इसे पक्षपात माना और विरोधस्वरूप अपने बल्लेबाजों को वापस बुला लिया। पाकिस्तान को विजेता घोषित कर दिया गया, लेकिन यह घटना आज भी क्रिकेट इतिहास में एक बड़े विवाद के रूप में जानी जाती है।
5. जब चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल सिर्फ क्रिकेट नहीं, राजनीति भी था (2017, लंदन)
18 जून 2017 को द ओवल में खेला गया चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े झटकों में से एक था। भारत ने टूर्नामेंट में दबदबा बनाया था और पाकिस्तान को ग्रुप स्टेज में 124 रन से हरा दिया था। किसी को उम्मीद नहीं थी कि फाइनल में पाकिस्तान पलटवार करेगा।
लेकिन हुआ उल्टा—
पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 338/4 का स्कोर बनाया।
भारत की पूरी टीम सिर्फ 158 रन पर ढेर हो गई।
पाकिस्तान ने 180 रन से जीतकर सबको चौंका दिया।
यह मैच सिर्फ खेल तक सीमित नहीं था। भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तनाव चरम पर था। LOC पर झड़पें हो रही थीं और भारतीय मीडिया में मांग उठ रही थी कि पाकिस्तान से खेला ही न जाए। यहां तक कि जब भारत में टूर्नामेंट कराने की चर्चा हुई थी, तो पाकिस्तान सिक्योरिटी कारणों से इसमें भाग न लेने की सोच रहा था।
इस मैच के बाद सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक, हर जगह बहस छिड़ गई थी। यह क्रिकेट के नाम पर हुआ एक ऐसा फाइनल था, जिसे सिर्फ खेल नहीं, बल्कि भारत-पाकिस्तान रिश्तों की पृष्ठभूमि में भी देखा गया।