बिहार

बिहार में चार माह तक रेत खनन पर रोक, पर्यावरण और नदियों की रक्षा के लिए बड़ा कदम!

बिहार सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और नदियों की पारिस्थितिकीय स्थिति को बेहतर बनाए रखने के उद्देश्य से 15 जून से आगामी चार महीनों के लिए रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध आगामी 15 अक्टूबर 2025 तक प्रभावी रहेगा। इस अवधि को ‘मानसून सीजन प्रतिबंध काल’ के रूप में देखा जाता है, जब नदियों में जलस्तर उच्चतम स्थिति में होता है और खनन से तटबंधों, जलजीवों एवं पारिस्थितिकी को भारी क्षति पहुंच सकती है।

राज्य सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, यह फैसला गंगा, गंडक, कोसी, सोन, पुनपुन, घाघरा सहित सभी प्रमुख नदियों के किनारे स्थित खनन क्षेत्रों में लागू रहेगा। इस आदेश के उल्लंघन पर संबंधित खनन एजेंसियों, वाहन स्वामियों और ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

अवैध खनन पर विशेष निगरानी अभियान
राज्य के खनन मंत्री ने बताया कि इस आदेश के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक जिले में विशेष निगरानी टीमों का गठन किया गया है। ड्रोन सर्वे, सीसीटीवी निगरानी और पुलिस-प्रशासन की संयुक्त टीमों के माध्यम से अवैध रेत खनन पर पैनी नजर रखी जाएगी। साथ ही, नदी घाटों पर लगे चेकपोस्टों को सक्रिय किया गया है।

पर्यावरणविदों ने जताया स्वागत
पर्यावरणविद् और नदियों पर काम कर रहे संगठनों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। गंगा एक्शन प्रोजेक्ट से जुड़े पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. संतोष मिश्रा ने कहा, “मानसून के दौरान रेत खनन नदियों की धारा को तोड़ता है और जलजीवों की प्रजनन प्रणाली पर गंभीर प्रभाव डालता है। यह प्रतिबंध पारिस्थितिकीय संतुलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।”

रेत माफियाओं पर सख्ती
पिछले वर्षों में राज्य के कई इलाकों — खासकर सारण, भोजपुर, औरंगाबाद, लखीसराय व बक्सर जिलों में — रेत माफियाओं की गतिविधियां तेज़ रही हैं। इनकी रोकथाम के लिए विशेष टास्क फोर्स की तैनाती की गई है। गृह विभाग ने संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों को आदेश दिया है कि वे अवैध परिवहन, भंडारण और बिक्री पर तुरंत कार्रवाई करें।

निर्माण कार्य होंगे प्रभावित?
रेत खनन पर चार महीने की रोक का प्रभाव निर्माण कार्यों पर भी पड़ सकता है, खासकर सरकारी परियोजनाओं और निजी भवन निर्माण में। इस विषय में निर्माण कंपनियों और ठेकेदारों ने सरकार से वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है। हालांकि, सरकार ने कहा है कि जिन परियोजनाओं को पहले से अनुमति प्राप्त है और जिनके पास वैध स्टॉक है, उन्हें राहत दी जा सकती है — बशर्ते वे मापदंडों का पालन करें।

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former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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