नीतीश से टेंशन, फिर भी समर्थन…पीके की तारीफ! क्या एनडीए में ‘डबल गेम’ खेल रहे चिराग पासवान?

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने बीते दिनों बिहार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने बार-बार कहा कि- बिहार में अपराधी हावी हैं और प्रशासन नतमस्तक है. उनका सीधा निशाना सीएम नीतीश कुमार पर माना जा रहा था. कहा जाता है कि वह बिहार में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर महत्वाकांक्षा रखते हैं, इसलिए सीएम नीतीश को टारगेट पर लेते हैं. वही, दूसरी ओर वह यह भी दोहराते हैं कि वे एनडीए में थे, हैं और रहेंगे. साफ है कि यह दोहरा रुख बड़े-बड़ों को भी चक्कर में डाल देता है. हालांकि राजनीति के जानकारों की नजर में उनकी रणनीति का हिस्सा है, जिससे वे एनडीए में रहते हुए अपनी सियासी जमीन मजबूत कर रहे हैं.
चिराग पासवान ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में महत्वाकांक्षा को लेकर कहा, महत्वाकांक्षी होना गलत नहीं, लेकिन मेरी महत्वाकांक्षा गठबंधन से ऊपर नहीं. उन्होंने नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए के चुनाव लड़ने की बात दोहराई. लेकिन, चिराग पासवान के बयानों से साफ है कि वे बिहार में अपनी पार्टी की हिस्सेदारी बढ़ाना चाहते हैं.बता दें कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने अकेले 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसने जेडीयू को नुकसान पहुंचाया था. इस बार भी उनकी रणनीति सीट बंटवारे में बड़ा हिस्सा हासिल करने की बताई जा रही है.
नीतीश से नाखुश पर रहेंगे एनडीए में
चिराग पासवान और नीतीश कुमार के रिश्ते लंबे समय से असहज रहे हैं. वर्ष 2020 में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर जेडीयू को 34 सीटों पर नुकसान पहुंचाया था. अब नीतीश कुमार के नेतृत्व का समर्थन करते हुए भी वे बिहार की कमियों को उजागर कर रहे हैं. उनके समर्थकों के पोस्टर में “चिराग के स्वागत को तैयार है बिहार” लिखा रहता है. जानकारों की नजर में यह उनकी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को भी जाहिर करता है.
प्रशांत किशोर के साथ तारीफों का आदान-प्रदान
चिराग पासवान और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की आपसी तारीफें भी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय हैं. दोनों नीतीश सरकार की आलोचना करते हैं जिससे नए समीकरण की अटकलें तेज हैं. हालांकि, चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता एनडीए के साथ है और नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही वह चुनाव लड़ेंगे. उन्होने यह भी साफ किया है कि आगामी पांच वर्षों तक नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री रहने वाले हैं. हालांकि, बीच-बीच में चिराग पासवान की पीके की तारीफ को लेकर कन्फ्यूजन भी पैदा हो रहा है और प्रशांत किशोर की यह तारीफें भविष्य में गठजोड़ की संभावना को जन्म दे रही हैं.
बिहार की सियासत में मायने
राजनीतिक के जानकार कहते हैं कि दरअसल, चिराग पासवान की रणनीति बिहार में दलित और गैर-यादव पिछड़े वर्गों में अपनी पैठ बढ़ाने की है. उनकी “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” की नीति युवाओं और बहुजन समुदायों को आकर्षित कर रही है. 2025 के विधानसभा चुनाव में वे अधिक सीटें हासिल कर किंगमेकर की भूमिका निभाना चाहते हैं. जाहिर है चिराग पासवान एक ओर नीतीश को समर्थन देने की बात करते हैं, लेकिन दूसरी ओर उनकी सियासी महत्वाकांक्षा भी जाहिर हो रही है जिससे एनडीए के भीतर तनाव बढ़ जाता है.