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धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी पर सख्त सजा का प्रस्ताव, 10 साल से आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान

देश में धार्मिक भावनाओं की रक्षा को लेकर एक अहम कदम उठाया गया है। एक नए विधेयक के अनुसार, किसी भी धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी या अपमान का दोषी पाए जाने पर आरोपी को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा हो सकती है। इसके साथ ही दोषी व्यक्ति पर भारी जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है, जो न्यूनतम 5 लाख रुपये से शुरू होकर अधिकतम 10 लाख रुपये तक हो सकता है।

इस विधेयक का उद्देश्य धार्मिक सौहार्द को बनाए रखना और जानबूझकर किए जाने वाले अपमानजनक कृत्यों को सख्ती से रोकना है। सरकार का मानना है कि बार-बार सामने आ रहे धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामलों ने सामाजिक तनाव और अशांति को जन्म दिया है। ऐसे में सख्त कानून की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी।

हालांकि, इस विधेयक पर राजनीतिक और कानूनी हलकों में बहस भी शुरू हो गई है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कानून का दुरुपयोग न हो, इसके लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और निष्पक्ष जांच प्रक्रिया जरूरी है। वहीं कई धार्मिक संगठनों और आम नागरिकों ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करने वाला बताया है।

यदि यह विधेयक पारित होता है, तो यह देश में धार्मिक अपमान के मामलों में अब तक का सबसे कठोर कानून बन जाएगा। अब देखना यह है कि संसद में इसे कितना समर्थन मिलता है और इसका वास्तविक प्रभाव समाज में कैसा पड़ता है।

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former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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