राष्ट्रीय

देश के रक्षा उत्पादन ने बनाया नया रिकॉर्ड, आंकड़ा पहुंचा 1.5 लाख करोड़ रुपये के पार, 2029 तक का टारगेट 3 लाख करोड़

भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने का फैसला लिया गया था. यह फैसला अब जमीन पर साफ दिखाई देने लगा है. देश में रक्षा उत्पादन पिछले 10 साल में 174 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है. साल 2014-15 में जो डिफेंस प्रोडक्शन महज 46,429 करोड़ का था, वह साल 2024-25 में बढ़कर 1,50,590 करोड़ के आंकड़े पर पहुंच चुका है. रक्षा मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024-25 में सालाना रक्षा उत्पादन बढ़कर अब तक के सबसे ज्यादा 1,50,590 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है. यह बढ़ोतरी पिछले वित्त वर्ष के 1.27 लाख करोड़ रुपये के प्रोडक्शन के मुकाबले 18% ज्यादा है और वित्त वर्ष 201920 के बाद से 90% की बढ़ोतरी है. उस वक्त यह आँकड़ा 79,071 करोड़ रुपये था. इस उपलब्धि पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा उत्पादन विभाग और सभी हितधारकों, यानी रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (DPSU), सार्वजनिक क्षेत्र के निर्माताओं और निजी उद्योग के सामूहिक प्रयासों की सराहना की है. उन्होंने इस बढ़ोतरी को भारत के मजबूत होते रक्षा औद्योगिक आधार का स्पष्ट संकेत बताया.

डिफेंस प्रोडक्शन को मिली रफ्तार

देश में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने विदेशों पर निर्भरता कम करने के लिए एक अहम कदम उठाया था. इसमें विदेशों से खरीदे जाने वाले सैन्य हथियार, उपकरण और कलपुर्जे की खरीद पर रोक लगा दी गई है. इसे पॉजिटिव इंडिजिनाइजेशन लिस्ट कहा गया. अब तक रक्षा मंत्रालय ऐसी पांच लिस्ट जारी कर चुका है. इसमें तकरीबन 5000 आइटम के आयात पर पाबंदी लगाई गई थी. यह सभी डिफेंस PSU और निजी स्वदेशी कंपनियों से खरीदे जा रहे हैं. प्राइवेट कंपनियों को भी सरकार की तरफ से सहूलियतें दी गईं. इसके चलते उन्होंने आधुनिक हथियारों और उपकरणों का उत्पादन किया. सरकार ने भारत की निजी हथियार निर्माता कंपनियों के लिए ऐसा इकोसिस्टम तैयार किया कि वे बड़ी तेजी से आगे बढ़ने लगे. इस पूरे बढ़ोतरी में हिस्सेदारी की बात करें तो कुल उत्पादन में रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (DPSU) और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों का योगदान लगभग 77% रहा, जबकि निजी क्षेत्र का योगदान 23% रहा. निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले बढ़ी है. जो वित्त वर्ष 2023-24 में 21% थी, वह बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 23% हो गई है. रक्षा मंत्रालय ने साल 2029 तक का रक्षा उत्पादन का टारगेट 3 लाख करोड़ रुपये का रखा है.

अब अमेरिका और फ्रांस भी हैं खरीदार

अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा हथियार उत्पादक और निर्यातक है, फ्रांस भी कोई कम नहीं है. अब ये दोनों देश भारत के साथ रक्षा सहयोग और उत्पाद के अलावा डिफेंस प्रोडक्ट भारत से खरीद रहे हैं. साल 2023-2024 में अमेरिका, फ्रांस और अर्मेनिया सबसे ज्यादा खरीद करने वाले देश थे. भारत कुल 100 से ज्यादा देशों को आज सैन्य उपकरण और बाकी साजो-सामान बेच रहा है. दुनिया के तमाम हथियार निर्माता देश भारत के साथ जुड़ने की कोशिशों में जुटे हैं. रक्षा मंत्रालय की तरफ से वित्तीय वर्ष 2023-2024 के आंकड़े जारी किए गए थे. रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2004 से 2014 तक जो एक्सपोर्ट मात्र 4,312 करोड़का हुआ करता था, वह 2014-2024 में बढ़कर 88,319 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. पिछले दस साल में यह रफ्तार इतनी तेजी से बढ़ी कि अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट पिछले साल के मुकाबले 12.04 प्रतिशत बढ़ा है. साल 2023-2024 में डिफेंस एक्सपोर्ट 21,083 करोड़ रुपये था. इसमें 2539 करोड़ का इजाफा हुआ है.DPSU और प्राइवेट कंपनियों ने साल 2024-2025 में जबरदस्त प्रदर्शन किया. कुल एक्सपोर्ट का 8,389 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट DPSU ने किया जबकि प्राइवेट कंपनियों ने 15,233 करोड़ रुपये अपनी झोली में डाले. वित्तीय वर्ष 2023-2024 में यह आंकड़ा 5,874 और 15,209 करोड़ रुपये था. DPSU डिफेंस एक्सपोर्ट में पिछली बार के मुकाबले 42.85 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

saamyikhans

former crime reporter DAINIK JAGRAN 2001 and Special Correspondent SWATANTRA BHARAT Gorakhpur. Chief Editor SAAMYIK HANS Hindi News Paper/news portal/

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