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दिल्ली में नीतीश और चिराग की हार !! 

पुरे देश की नजर दिल्ली चुनाव परिणाम पर थी. परिणाम लगभग साफ हो गया है दिल्ली में सरकार बीजेपी बना रही है ये लगभग तय हो गया है पर बिहार की लोगों का नजर दिल्ली के दो विधानसभा सीटों के परिणाम पर टिकी हुई थी एक नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से बुराड़ी विधानसभा से उम्मीदवार शैलेन्द कुमार और दूसरी तरफ चिराग पासवान की पार्टी लोजपा ( रा ) से देवली से उम्मीदवार दीपक तंवर पर.

बिहार के इन दोनों पार्टियों की हार की वजह क्या हो सकती है प्रचार – प्रसार में कोई कमी नहीं थी बिहार से जदयू की प्रचार टीम रवाना हुई थी सोशल मीडिया पर बिहार जदयू से दिल्ली गये प्रचार टीम जीत का 100% दावा कर रही थी. क्या प्रचार टीम के दावे #खोखली थी .

आख़िर कमी क्या रह गयी थी इसकी जाँच करने के लिए वहाँ रहने वाले एक स्थानीय से दूरभाष पर बात की. बात करने पर पता चला की जदयू के उम्मीदवार दमदार नहीं थे दिल्ली में काम पर वोट मिलता है यहाँ नाम और जात ज्यादा मायने नहीं रखता है. ज्यादातर इलाके में इनके उम्मीदवार कों कोई पहचानता नहीं था. पिछले 2020 विधानसभा चुनाव में हारने के बाद कही जमीन स्तर पर काम करते नजर नहीं आये.

दूसरी तरफ बिहार के एक जदयू नेता ने बताया की दिल्ली चुनाव प्रचार में जो जदयू की टीम गयी थी उनमे दो – तीन नेताओं ने जमकर मेहनत किया है बाकि सोशल मीडिया पर फोटोबाजी के अलावा कोई काम नहीं किया है. भाजपा और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यहाँ प्रचार किया था पर इसका असर न के बराबर हुआ हालांकि CM #नीतीश कुमार इस चुनाव में अपने उम्मीदवार के प्रचार करते कही नजर नहीं आये.

चिराग पासवान के उम्मीदवार की बात करें तों दिल्ली में कुल मतदाताओं की संख्या में करीब 17 फीसदी दलित हैं. ऐसे में देवली सीट पर दलित वोटरों की बेहद अहम भूमिका है. यहाँ दलित वोटरों का रुझान ही जीत हार तय करता है. चिराग पावसान ने देवली में अपने उम्मीदवार के प्रचार भी किया था पर उनका भी चुनावी प्रचार भी कोई चमत्कार नहीं कर सका और इनके उम्मीदवार हार गये.

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