दही गोप और सौरभ हत्या/कांड का मास्टरमाइंड पुलिस के शिकंजे से कोसो दूर

पटना शहर में पिछले साल राजनीती से जुड़े दो लोगों की हत्या पुलिस के इक़बाल को धक्का देते हुए की गई थी. दोनों हत्याएं सामान तरीके से की गई थी और दोनों हत्याकांड का परिणाम भी अभी तक समान है. बड़ी बात दोनों नेता सत्ताधारी पार्टी से जुड़े हुए थे.
पहली घटना पुनपुन थाना क्षेत्र के बढ़िया कॉल गांव के पास 24 अप्रैल को हुई थी. देर रात बदमाशों ने जेडीयू नेता सौरभ कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी. सौरभ अपने दोस्त मुनमुन के साथ रात 12 बजे के करीब रिसेप्शन पार्टी से लौट रहे थे. इसी दौरान बाइक सवार 4 बदमाशों ने करीब 5 राउंड फायरिंग की.
दूसरी घटना दानापुर के पेठिया बाजार में 21 दिसम्बर 2024 समय तकरीबन 8 बजकर 23 मिनट पर हुई. पूर्व पार्षद और छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष सह BJP के सक्रिय कार्यकर्ता रणजीत कुमार उर्फ दही गोप को एक अपराधी ने अति दुस्साहस का परिचय देते हुए पीछे से बिल्कुल करीब पहुंचकर उस वक्त दनदनादन गोलियां मार दी जब वो अपनी स्कॉर्पियो से उतरकर अपने घर के बगल में ही एक श्राद्ध कर्म में शामिल होने पहुंचे थे.
दोनों हत्याकांड में उपयोगकर्ता अपराधी पुलिस की गिरफ्त में आ गए हैं वहीं दोनों घटनाओ के मुख्य अभियुक्त या मास्टरमाइंड अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं. पुलिस की इस तरह की कार्यशैली पर दोनों मृतक के परिजनों में घोर नाराजगी है.
रणजीत यादव उर्फ दही गोप की हत्या के पीछे प्रभावशाली व्यक्तियों की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए उनकी पत्नी प्रियंका कुमारी ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर तीखा प्रहार किया है. प्रियंका कुमारी ने कहा कि पुलिस ने उनके पति की हत्या में शामिल आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, लेकिन हत्या के पीछे के मुख्य साजिशकर्ताओं को खुली छूट मिली हुई है. वे लोग शादी और पार्टियों में बेखौफ घूम रहे हैं और अपने आपको निर्दोष साबित करने में लगे हैं. उनके परिवार को चुप रहने के लिए लगातार धमकियाँ मिल रही हैं.
वही सौरभ हत्याकांड में पुलिस द्वारा बताया गया की शूटर को 14 लाख दिया गया था. शूटर को 14 लाख देनेवाला कौन था आज भी सवालों के घेरे में है. दूसरी बात जों अपराधी गिरफ्त में आया है उसकी आर्थिक औकात इतनी नहीं थी की एक हत्या के लिए 20 लाख खर्च करें. परिजनों और आम लोगो ये सवाल उठाते रहते है की सौरभ हत्याकांड का मास्टरमाइंड कौन है? खौफ का आलम ये है की सौरभ के बड़े भाई समीर कुमार अभी तक सरकारी अंगरक्षक लेकर चलते है. हालांकि सौरभ के परिवार ने दबे जुबान या अपने बीच इसकी चर्चा कर लेते है लेकिन अभी सावर्जनिक तरीके से इस तरह से मांग नहीं उठाई है.
बहरहाल देखना होगा पुलिस पिछले साल के दो बड़े चर्चित हत्याकांड की गुत्थी सुलझाती है या नहीं…