आतंक की नई लहर: वैश्विक सुरक्षा के लिए बढ़ता खतरा

दुनिया भर में आतंकवाद एक बार फिर अपने पैर पसार रहा है। हाल के महीनों में कई देशों में चरमपंथी हमलों की घटनाओं में इज़ाफा देखा गया है, जिससे वैश्विक सुरक्षा और मानवीय मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। इन हमलों की सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि निर्दोष नागरिकों, खासकर महिलाओं और बच्चों, को निशाना बनाया जा रहा है।
चाहे अफ्रीका हो, मिडल ईस्ट या एशिया – चरमपंथी संगठन स्थानीय असंतोष का फायदा उठाकर न केवल हिंसा फैला रहे हैं, बल्कि युवाओं को कट्टरपंथ की ओर भी धकेल रहे हैं। सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल कर यह संगठन अपने एजेंडे को फैला रहे हैं और नई भर्तियां कर रहे हैं।
इन घटनाओं ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद सिर्फ किसी एक देश या समुदाय की समस्या नहीं, बल्कि यह एक वैश्विक संकट है। इसका समाधान केवल सैन्य कार्रवाई से नहीं, बल्कि सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रणनीतियों से भी होना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब अधिक समन्वय के साथ काम करने की आवश्यकता है, ताकि न केवल इन संगठनों को जड़ से खत्म किया जा सके, बल्कि उनकी विचारधारा को भी रोका जा सके। केवल तब ही एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित विश्व की कल्पना की जा सकती है।