पुणे में विप्रो की महिला बीपीओ कर्मी को दफ्तर ले जाते हुए सामूहिक दुष्कर्म कर हत्या करने के दोषी कंपनी के एक कैब ड्राइवर और उसके साथी की मौत की सजा को इस घटना के 17 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने 35 साल की उम्रकैद कर दी हैं।
इस मामले में सजा कम करने का आधार फांसी की सजा को अंजाम देने में देरी होना है।
जस्टिस अभय एस.ओका, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और आगस्टीन जार्ज मसीह की खंडपीठ ने बांबे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र सरकार की अपील को खारिज कर दिया।
दोनों दोषियों पुरुषोत्तम बोराटे और प्रदीप कोकाडे को 24 जून 2019 को फांसी दी जाने वाली थी।लेकिन हाईकोर्ट ने उससे पहले ही 21 जून 2019 को कहा कि यह फांसी अगले आदेश तक नहीं दी जा सकती।