पाकिस्तानी नेतृत्व की प्राथमिकताओं पर उठे सवाल मुश्किल आर्थिक हालात के बीच विदेश दौरे पर सवाल:

पाकिस्तान इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश पर बढ़ता विदेशी कर्ज, घटते विदेशी मुद्रा भंडार और महंगाई की मार आम जनता की ज़िंदगी को प्रभावित कर रही है। इन हालातों के बीच शीर्ष अधिकारियों के भव्य विदेशी दौरों को लेकर देश में तीखी बहस छिड़ गई है।
हाल ही में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के श्रीलंका दौरे को लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरे के दौरान वे पांच सितारा होटलों में ठहरे और उन्हें हेलिकॉप्टर से विभिन्न स्थानों की सैर कराई गई। आलोचकों का कहना है कि जब देश में आटा-दाल के लाले पड़े हैं, तब इस तरह के शानो-शौकत वाले दौरों का औचित्य क्या है?
सरकार और सेना की ओर से इस दौरे को ‘रणनीतिक साझेदारी’ और ‘क्षेत्रीय सुरक्षा’ का हिस्सा बताया गया है, लेकिन जनता का एक बड़ा वर्ग इसे जनता के पैसों की बर्बादी मान रहा है।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक पाकिस्तान अपने खर्चों में अनुशासन नहीं लाता और पारदर्शिता नहीं अपनाता, तब तक आईएमएफ जैसी संस्थाओं से मदद भी स्थायी समाधान नहीं बन सकती।